रविवार, 13 नवंबर 2011

को कुतुव  मीनार का नाम दिया 
राजधानी में विष्णु  ध्वज की दुर्दशा को देखने और उसके साबुत को ढूढ़ने  की जरुरत नहीं ,यहाँ भारत सरकार की लगी पट्टिका में साफ़ साफ़ लिखा है की माकलुक बंसी सुल्तान क़ुतुबुद्दीन  ऐवक ने 27 हिन्दू और जैनियों के मंदिरों को तोड़ कर इस  1193से 1197 के बीच ध्वज का इस्लामी करण  किया था ,और इसको कुतुवमिनार का नाम दिया था ,इसी परिसद में विजय स्तम्भ जो की चौथी शताव्दी का ,पूरी दुनिया में जंग ना लगने के लिए प्रसिद्ध यही स्थापित है ,जिससे यह भूमि और धरोहर हिन्दुओ के आस्था की होने की पुष्टि होती है ,जब लुटेरे आता ताई भारत में नहीं रहे फिर हिन्दू धरोहरे फिर भय बस अभी भी गुलामी की जंजीरों में जकड़ी है  .....?