शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

   सत्ता लोभी वे शर्मी देख रहा भारत का जन जन मै 2017 तक गुजरात की सेवा करुगा फिर pm के नाम में सहमती क्यू मतलव मुह में राम बगल में छुरी  बाह रे नेता तेरी किस बात का भरोषा किया जाए 

शुक्रवार, 6 सितंबर 2013

भारत  सदेव ही भगवान और भाग्य भरोषे रहा है देश के कर्ण धार हमेश राजनीति के प्रपंच में खुद और देश को उलझाये रहे है देश के भीतर राष्ट्र नीति का पूरी तरह अकाल है जिस पर युवाओं को चेतना होगा बर्ना आज़ादी का सूरज ज्यादा दिन तक रोशनी नहीं देगा गुलामी का अँधेरा दरवाजा खट खटा रहा है फिर  भी राजनीति के धृतराष्ट्र मौन है जो चिन्तनीय है ?