भटके हुए राही को मंजिल मिल ही जाती है
गुमराह तो वो है जो घरो से निकलते ही नहीं
लीक लीक गाड़ी चले लीकय चले कपूत
लीक छोड़ तीनो चले सायर सिंह सपूत
दिल में जो जख्म है
ओ सब फूलो के गुच्छे है
हमको पागल ही रहने दो
हम पागल ही अच्छे है
संघर्षो के साए में असली
आजादी पलती है
इतिहास उधर मुड़ जाता है
जिस और जवानी चलती है
आपका
गुमराह तो वो है जो घरो से निकलते ही नहीं
लीक लीक गाड़ी चले लीकय चले कपूत
लीक छोड़ तीनो चले सायर सिंह सपूत
दिल में जो जख्म है
ओ सब फूलो के गुच्छे है
हमको पागल ही रहने दो
हम पागल ही अच्छे है
संघर्षो के साए में असली
आजादी पलती है
इतिहास उधर मुड़ जाता है
जिस और जवानी चलती है
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "