गुरुवार, 13 जनवरी 2022

        "सत्यमेव जयते"

जिस आदमी ने श्रीमदभगवद गीता का पहला उर्दू अनुवाद किया
वो था मोहम्मद मेहरुल्लाह! बाद में उसने सनातन धर्म अपना लिया!

पहला व्यक्ति जिसने श्रीमदभागवद गीता का अरबी अनुवाद किया वो एक फिलिस्तीनी था
अल फतेह कमांडो नाम का! जिसने बाद में जर्मनी में इस्कॉन जॉइन किया और अब हिंदुत्व में है!

पहला व्यक्ति जिसने इंग्लिश अनुवाद किया उसका नाम चार्ल्स विलिक्नोस था!
उसने भी बाद में हिन्दू धर्म अपना लिया उसका तो ये तक कहना था कि दुनिया मे केवल हिंदुत्व बचेगा!

हिब्रू में अनुवाद करने वाला व्यक्ति Bezashition le fanah नाम का इसरायली था
जिसने बाद में हिंदुत्व अपना लिया था भारत मे आकर!

पहला व्यक्ति जिसने रूसी भाषा मे अनुवाद किया उसका नाम था 
नोविकोव जो बाद में भगवान कृष्ण का भक्त बन गया था!

आज तक 283 बुद्धिमानों ने श्रीमद भगवद गीता का अनुवाद किया है अलग अलग भाषाओं में जिनमें से 58 बंगाली, 44 अंग्रेजी, 12 जर्मन, 4 रूसी, 4 फ्रेंच, 13 स्पेनिश, 5 अरबी, 3 उर्दू और अन्य कई भाषाएं थी ओर इन सब मे दिलचस्प बात यह है कि इन सभी ने बाद मैं हिन्दू धर्म को अपना लिया था।

जिस व्यक्ति ने कुरान को बंगाली में अनुवाद किया उसका नाम गिरीश चंद्र सेन था! 
लेकिन वो इस्लाम मे नहीं गया शायद इसलिए कि वो इस अनुवाद करने से पहले 
श्रीमद भागवद गीता को भी पढ़ चुके थे !

ये है सनातन धर्म और इसके धार्मिक ग्रंथों की ताकत।

और हम हिन्दू इन्हें ख़ुद ही नही पढ़ते है, है ना अजीब विडम्बना ??

भटके हुए रही को मंजिल मिल हि जाती है,
गुमराह तो वो है जो घरों से निकलते ही नही ।

लौट आओ भटके हुए मुसाफिरो अभी मौका है
सनातन सत्य है बाक़ी सब धोखा है ।


 आपका
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "

शुक्रवार, 7 जनवरी 2022

       भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी सुरक्षा पर प्रश्नचिन्ह क्यों लगाते है....?
क्या प्रधानमंत्री जी के सुरक्षा कमांडो भरोसे के नही रहे, क्या देश के गृहमंत्री अमित शाह जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में कटौती की, आखिर दुनिया के सब से बेहतरीन कमांडो जो विदेश से भी किसी संकट के समय प्रधानमंत्री को सुरक्षित निकालने की छमता रखते है उन की छमता पर प्रश्नचिन्ह क्यों....? 
प्रधानमंत्री जी का बयान की मैं पंजाब के भटिंडा एयरपोर्ट तक जिंदा लौट आया भारत में प्रांत बाद सहित गृह युद्ध को भड़काने जैसा है,
पूरी दुनिया के सामने अपने सुरक्षा कमांडो को कमजोर साबित करने का कारण क्या है ये तो प्रधानमंत्री ही जाने लेकिन विश्व पटल पर जो छवि भारत के सेना और कमांडो की रही है मोदी साहब ने उसे धूमिल किया है ।
100 कमांडो प्रधानमंत्री के साथ चलते है और घर की सुरक्षा में 500 से अधिक कमांडो तैनात रहते है, एक मिनट में 850 राउंड फायर करने बाली राइफल से लैस ये कमांडो जो सिर्फ प्रधानमंत्री की सुरक्षा हेतु ही तैनात रहते है, प्रधानमंत्री के काफिले में दो बख्तरबंद BMW 7 सीरीज सेडान ,  6 BMW X 5 और एक मार्सिडीज बेंज, एंबुलेंस सहित अन्य एक दर्जन से अधिक वाहन साथ रहते है, प्रधानमंत्री जी की गाड़ी पूरी तरह बुलेटप्रूफ होती है, हाल ही में प्रधानमंत्री जी के काफिले में एक नई गाड़ी और शामिल हुई  Mercedes - Maybach S 650 Guard । प्रधानमंत्री जी के काफिले में वर्तमान समय में BMW -7 सीरीज हाई सिक्यूरिटी एडिशन, लैंड रोवर रेंज रोवर वोग और टोयोटा लैंड क्रूजर जैसी गाड़िया शामिल है । प्रधानमंत्री के काफिले में प्रधानमंत्री जी के साथ दो डमी गाड़िया भी चलती है, जिससे प्रधानमंत्री किस गाड़ी में है चिन्हित करना आसान नहीं होता । प्रधानमंत्री की गाड़ी में किसी ग्रेनेड और एके 47 जैसी गन का कोई असर नहीं होता, यहा तक की प्रधानमंत्री की गाड़ी का कांच भी किसी ग्रेनेड और गन से नही तोड़ा जा सकता,  प्रधानमंत्री की गाड़ी का टायर फट जाए तब भी 90 किलो मीटर की रफ्तार से 320 किलो मीटर तक भगा जा सकता है ।
मोदी जो बोले केवल बही सही.....?
देश के प्रधान मंत्री SPG के घेरे में रहते है, जिसका एक दिन का खर्चा 1करोड 62 लाख रूपए है ।
MNF 2000 असाल्ट राइफल, ऑटोमैटिक गन और 17 M रिवाल्वर जैसे अत्याधुनिक हथियार से ये जवान पूरी तरह लैश होते है , प्रधान मंत्री जी के 4 सुरक्षा घेरे होते है, पहले सुरक्षा घेरे में SPG, फिर ASL, फिर राज्य पुलिस बल और ASL अर्थात एडवांस सिक्योरिटी संपर्क टीम तैनात रहती है, प्रधान मंत्री के काफिले में एक जैमर बाली गाड़ी चलती है जिसके कारण 100 मीटर की परिधि में रेडियो अथवा रिमोट कंट्रोल से होने वाले विस्फोट को रोक देती है  इस गाड़ी के कारण IED मे विस्फोट नही होने देता । फिर मैं जिंदा हूं जैसा डायलाग क्यों ।
मोदी साहब कैसे और कितना भरोसा करे आप पर.....?
पंजाब के फिरोजपुर ने मोदी साहब की सभा,रैली इस लिए रद्द हुई की जनता मोदी को सुनने नही आई, प्रधानमंत्री जी इस बात से दुखी होकर अपने निर्धारित मार्ग को छोड़ अघोषित सड़क मार्ग से भ्रमण पर निकल पड़ते है, जिस कारण सभा रैली स्थल पर तैनात सुरक्षा बल की उपयोगिता समाप्त हो जाती है और नई जगह पर अचानक शायद सुरक्षा बल तैनात इस लिए नही किया जा सकता था क्यों की रोड से जाने का निर्धारण अचानक मोदी साहब ने किया, प्रश्न उठता है आखिर ऐसा क्यों......?  फिर मैं जिंदा हूं का डायलाग क्यों.....?
जो मोदी पाकिस्तान बिना किसी प्रोटोकॉल के पहुंच कर नवाज शरीफ के मां को शाल और बेटी को सूट भेट कर आते हैं, जिनकी बहादुरी के किस्से दुनिया के हर बच्चे को मीडिया द्वारा सुनाया जाता है, वो प्रधानमंत्री, जिसकी सुरक्षा में केंद्रीय सुरक्षा बल लगा हो, जिसकी सुरक्षा में दुनिया के सब से ताकतवर सुरक्षा कर्मियों तैनात हो, जिसकी सुरक्षा में 10 हजार पंजाब पुलिस कर्मी तैनात हों उस प्रधान मंत्री का काफिला 15
मिनट के लिए खुद के देश में किसानों के द्वारा लगाए गए जाम में फंस जाता है , सुरक्षा कर्मियों और किसानों को बीच किसी तरह की झड़प और संवाद भी नही होता तब प्रधानमंत्री जी कहते है पंजाब के मुख्यमंत्री का धन्यवाद की मैं जिंदा हूं, यह मोदी जी का व्यंग है या चुनावी जुमला जो हर चुनाव के पहले वह छोड़ते हैं , यदि घटना गंभीर है तो परिणाम को घटित करने के साजिश कर्ताओं पर कठोर कार्यवाही होनी ही चाहिए वरना प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी के चुनावी चमत्कार और जुमलो को अब जनता पहचानने लगी है । सभा में खाली कुर्सी तो चुनावी पैंतरा, कहानी,डायलाग और रास्ता भी बदल गया,
प्रधान मंत्री की हत्या जिसे करना था उसने इंदिरा गांधी और राजीव गांधी की कर दी हत्यारे प्रपोगण्डा नही करते , इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए नरसंघार की पुनः पृष्ठ भूमि कौन लिख रहा है यह चिंतन की बात है ।
प्रधानमंत्री जी के साथ पूरा देश है लेकिन, किसी राजनैतिक जुमले की शिकार जनता हो यह उचित नही । मोदी है तो ही मुमकिन है , यदि अपने देश में अपनो से और अपने सुरक्षा कर्मियों से सभी सुरक्षा एजेंसियों से मोदी जी को खतरा है तो उनको घर के बाहर नही निकलना चाहिए, देश के ग्रहमंत्री अमित शाह जी को सुरक्षा के फेलुअर पर जवाब देना चाहिए, खुपिया एजेंसियों को नीद से जगाना चाहिए ,
भारत विशाल देश है इसकी मर्यादा है इसे नीतिगत तरीके से चलने की जरूरत है, देश जुमलो और जबर्दस्ती से नही चलता, मोदी जी चिंतन करे और देश की जनता को भी चिंतन करने दे ।

 आपका
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "

शनिवार, 1 जनवरी 2022

किसी का बाप और पाप हमे स्वीकार नही
तुम जी भर पूजो गांधी जिन्ना
हम गोडसे के पथ गामी है
हमको गोडसे ही रहने दो

मेरा अखिल,अखंड,अजेय भारत मुझे लौटा दो
मेरा सत्य,सनातन युक्त हिंदू राष्ट्र मुझे लौटा दो

15 साल की उम्र में वेश्या की चोखट से हिम्मत न जुटा पाने के कारण वापस लौट आये।

16 साल की उम्र में पत्नी से सम्भोग की इच्छा से मुक्त नहीं हो पाए जब उनके पिता मृत्यु शैया पर थे।

21 साल की उम्र में फिर उनका मन पराई स्त्री को देखकर विकारग्रस्त होता है।

28 साल की उम्र में हब्सी स्त्री के पास जाते है लेकिन शर्मसार होकर वापिस आ जाते है।

31 साल की उम्र में 1 बच्चे के पिता बन जाते है।

40 साल की उम्र में अपने दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी के साथ आत्मीयता महसूस करते है।

41 साल की उम्र में मोड नाम की लड़की से प्रभवित होते है।

48 की उम्र में 22 साल की एस्थर फेरिंग के मोहजाल में फंस जाते है।

51 की उम्र में 48 साल की सरला देवी चोधरानी के प्रेम में पड़ते हैं।

56 की उम्र में 33 साल की मेडलिन स्लेड के प्रेम में फंसते है।

60 की उम्र में 18 साल की महाराष्ट्रियन प्रेमा के माया जाल में फंस जाते है।

64 की उम्र में 24 साल की अमेरिका की नीला नागिनी के संपर्क में आते हैं।

65 की उम्र में 37 साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल को कपडे पहनना सिखाते हैं।

69 की उम्र में 18 साल की डॉक्टर शुशीला नैयरसे नग्न होकर मालिश करवाते हैं।

72 की उम्र में बाल विधवा लीलावती आसर, पटियाला के बड़े जमींदार की बेटी अम्तुस्स्लाम , कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर तथा मशहूर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी महिलाओ के साथ सोते  हैं।

76 की उम्र में 16 साल की आभा वीणा और कंचन नाम की युवतियों को नग्न होने को कहते हैं  जिस पर ये लडकिया कहती है की उन्हें ब्रह्मचर्य के बजाय सम्भोग की जरूरत है।

77 की उम्र मे मनु के साथ नोआखाली की सर्द रातें शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सोकर गुजारते हैं और 79 के अंतिम क्षणों तक आभा और मनु के साथ एक साथ बिस्तर पर सोते हैं।

ऐसे थे कांग्रेस के महान "बापू मोहनदास गाँधी"।
होश सँभालने के बाद और आखिरी दम तक महिलाओं में ही लगे रहे, और इन्होने आज़ाद करवाया भारत को? वो भी बिना खडग बिना ढाल?

गंदगी तो दुनिया में बहुत है दुःख इस बात का नहीं, दुःख तो इस बात का है कि इस गंदगी को कांग्रेस ने भारत का राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस से लेकर सब इनके मिथ्या प्रचार और जय जयकार में लगे हैं।

ये है हमारे तथाकथित राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद्र गांधी की जीवनी जो खुद ने लिखी थी।

जिसको शक हो तो गूगल और इतिहास की किताबों से सम्पर्क करें।

Congress का क्या है,  बोस को bhagoda , war criminal घोषित कर रखा था,  Bhagat sing chandr Shekhar azad को atankvadi

बँटवारे के बाद लगभग पंद्रह साल तक मुसलमान भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आते जाते रहे । बहुत से लोग तो बरसों तक तय नहीं कर पा रहे थे कि यहाँ रहें या वहाँ रहें । हमारे एक सहपाठी थे उनकी महत्वाकांक्षा थी कि वह एयर फोर्स में पायलट बनेंगे , अगर भारत में चयन नहीं हुआ तो पाकिस्तान चले जायेंगे , उनके परिवार के बहुत से लोग पाकिस्तान में बस गये थे । मुसलमानों के दोनों हाथ में लड्डू थे । हमारे बरेली के हाशम सुर्मे वाले बताते हैं कि उनके दो ताया कराची चले गये और वहाँ बरेली का मशहूर सुर्मा बेच रहे हैं बचे दो भाई बरेली का कारोबार संभाले हुए हैं । यूनानी दवायें बनानी वाली हमदर्द भी आधी हिंदुस्तान में रह गई आधी पाकिस्तान चली गई और वहाँ भी रूह अफ़्ज़ा पिला रही है ।

साहिर लुधियानवी का पाकिस्तान में वारंट कटा तो रातोरात भारत भाग आये , कुर्रतुल ऐन हैदर भारत से पाकिस्तान गईं थीं जहाँ उन्होंने उर्दू का अमर उपन्यास आग का दरिया लिखा जो लाहौर से छपा । यह उपन्यास प्राचीन भारत से बँटवारे तक के इतिहास के समेटते हुये भारत की संस्कृति को महिमा मंडित करता था जो पाकिस्तानी मुल्लाओं को बर्दाश्त नहीं हुआ और क़ुर्रतुल ऐन हैदर को इतनी धमकियाँ मिलीं कि वह सन ५९ में भारत वापस आ गईं और संयोग से उसी बरस जोश मलीहाबादी पाकिस्तान के लिये हिजरत कर गये । जोश की आत्मकथा यादों की बारात में वह अपने इस निर्णय के लिये पछताते दीख रहे हैं । बड़े गुलाम अली खाँ भी इसी तरह भारत वापस आ गये ।

श्रीकृष्ण ने कहा है कि, धर्म-अधर्म के बीच में यदि आप  , तटस्थ रहते हैं,  तो आप अधर्म का साथ देते हैं

भीम ने गदा युद्ध के नियम तोड़ते हुए दुर्योधन को कमर के नीचे मारा
ये देख बलराम बीच में आए और भीम की हत्या करने की ठान ली।

तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कहा.

आपको कोई अधिकार नहीं है इस युद्ध में बोलने का क्योंकि आप न्यूट्रल रहना चाहते थे ताकि आपको न कौरवों का, न पांडवों का साथ देना पड़े। इसलिए आप चुपचाप तीर्थ यात्रा का बहाना करके निकल लिए।

(१) भीम को दुर्योधन ने विष दिया तब आप न्यूट्रल रहे,
(२) पांडवो को लाक्षागृह में जलाने का प्रयास किया गया, तब आप न्यूट्रल रहे,
(३) द्यूत क्रीड़ा में छल किया गया तब आप न्यूट्रल रहे,
(४) द्रौपदी का वस्त्रहरण किया आप न्यूट्रल रहे,
(५) अभिमन्यु की सारे युद्ध नियम तोड़ कर हत्या की गयी, तब भी आप न्यूट्रल रहे!

आपने न्यूट्रल रह कर, मौन रह कर, दुर्योधन के हर अधर्म का साथ ही दिया! अब आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप कुछ बोलें।

क्योंकि धर्म-अधर्म के युद्ध में अगर आप न्यूट्रल रहते हैं तो आप भी अधर्म का साथ दे रहे हैं...

आज हमारा ये देश 712 ई. से धर्म युद्ध लड़ रहा है और हर नागरिक इसमें एक सैनिक है!

साभार सोसल मीडिया

मेरे चरित्र पर जो गांधी वध के खूनी छीटे है
देश हित में हमको हत्यारा रहने दो हम गोडसे ही अच्छे है ।
    आपका
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "