किसी का बाप और पाप हमे स्वीकार नही
तुम जी भर पूजो गांधी जिन्ना
हम गोडसे के पथ गामी है
हमको गोडसे ही रहने दो
मेरा अखिल,अखंड,अजेय भारत मुझे लौटा दो
मेरा सत्य,सनातन युक्त हिंदू राष्ट्र मुझे लौटा दो
16 साल की उम्र में पत्नी से सम्भोग की इच्छा से मुक्त नहीं हो पाए जब उनके पिता मृत्यु शैया पर थे।
21 साल की उम्र में फिर उनका मन पराई स्त्री को देखकर विकारग्रस्त होता है।
28 साल की उम्र में हब्सी स्त्री के पास जाते है लेकिन शर्मसार होकर वापिस आ जाते है।
31 साल की उम्र में 1 बच्चे के पिता बन जाते है।
40 साल की उम्र में अपने दोस्त हेनरी पोलक की पत्नी के साथ आत्मीयता महसूस करते है।
41 साल की उम्र में मोड नाम की लड़की से प्रभवित होते है।
48 की उम्र में 22 साल की एस्थर फेरिंग के मोहजाल में फंस जाते है।
51 की उम्र में 48 साल की सरला देवी चोधरानी के प्रेम में पड़ते हैं।
56 की उम्र में 33 साल की मेडलिन स्लेड के प्रेम में फंसते है।
60 की उम्र में 18 साल की महाराष्ट्रियन प्रेमा के माया जाल में फंस जाते है।
64 की उम्र में 24 साल की अमेरिका की नीला नागिनी के संपर्क में आते हैं।
65 की उम्र में 37 साल की जर्मन महिला मार्गरेट स्पीगल को कपडे पहनना सिखाते हैं।
69 की उम्र में 18 साल की डॉक्टर शुशीला नैयरसे नग्न होकर मालिश करवाते हैं।
72 की उम्र में बाल विधवा लीलावती आसर, पटियाला के बड़े जमींदार की बेटी अम्तुस्स्लाम , कपूरथला खानदान की राजकुमारी अमृत कौर तथा मशहूर समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की पत्नी प्रभावती जैसी महिलाओ के साथ सोते हैं।
76 की उम्र में 16 साल की आभा वीणा और कंचन नाम की युवतियों को नग्न होने को कहते हैं जिस पर ये लडकिया कहती है की उन्हें ब्रह्मचर्य के बजाय सम्भोग की जरूरत है।
77 की उम्र मे मनु के साथ नोआखाली की सर्द रातें शरीर को गर्म रखने के लिए नग्न सोकर गुजारते हैं और 79 के अंतिम क्षणों तक आभा और मनु के साथ एक साथ बिस्तर पर सोते हैं।
ऐसे थे कांग्रेस के महान "बापू मोहनदास गाँधी"।
होश सँभालने के बाद और आखिरी दम तक महिलाओं में ही लगे रहे, और इन्होने आज़ाद करवाया भारत को? वो भी बिना खडग बिना ढाल?
गंदगी तो दुनिया में बहुत है दुःख इस बात का नहीं, दुःख तो इस बात का है कि इस गंदगी को कांग्रेस ने भारत का राष्ट्रपिता घोषित कर दिया। दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस से लेकर सब इनके मिथ्या प्रचार और जय जयकार में लगे हैं।
ये है हमारे तथाकथित राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद्र गांधी की जीवनी जो खुद ने लिखी थी।
जिसको शक हो तो गूगल और इतिहास की किताबों से सम्पर्क करें।
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बँटवारे के बाद लगभग पंद्रह साल तक मुसलमान भारत से पाकिस्तान और पाकिस्तान से भारत आते जाते रहे । बहुत से लोग तो बरसों तक तय नहीं कर पा रहे थे कि यहाँ रहें या वहाँ रहें । हमारे एक सहपाठी थे उनकी महत्वाकांक्षा थी कि वह एयर फोर्स में पायलट बनेंगे , अगर भारत में चयन नहीं हुआ तो पाकिस्तान चले जायेंगे , उनके परिवार के बहुत से लोग पाकिस्तान में बस गये थे । मुसलमानों के दोनों हाथ में लड्डू थे । हमारे बरेली के हाशम सुर्मे वाले बताते हैं कि उनके दो ताया कराची चले गये और वहाँ बरेली का मशहूर सुर्मा बेच रहे हैं बचे दो भाई बरेली का कारोबार संभाले हुए हैं । यूनानी दवायें बनानी वाली हमदर्द भी आधी हिंदुस्तान में रह गई आधी पाकिस्तान चली गई और वहाँ भी रूह अफ़्ज़ा पिला रही है ।
साहिर लुधियानवी का पाकिस्तान में वारंट कटा तो रातोरात भारत भाग आये , कुर्रतुल ऐन हैदर भारत से पाकिस्तान गईं थीं जहाँ उन्होंने उर्दू का अमर उपन्यास आग का दरिया लिखा जो लाहौर से छपा । यह उपन्यास प्राचीन भारत से बँटवारे तक के इतिहास के समेटते हुये भारत की संस्कृति को महिमा मंडित करता था जो पाकिस्तानी मुल्लाओं को बर्दाश्त नहीं हुआ और क़ुर्रतुल ऐन हैदर को इतनी धमकियाँ मिलीं कि वह सन ५९ में भारत वापस आ गईं और संयोग से उसी बरस जोश मलीहाबादी पाकिस्तान के लिये हिजरत कर गये । जोश की आत्मकथा यादों की बारात में वह अपने इस निर्णय के लिये पछताते दीख रहे हैं । बड़े गुलाम अली खाँ भी इसी तरह भारत वापस आ गये ।
श्रीकृष्ण ने कहा है कि, धर्म-अधर्म के बीच में यदि आप , तटस्थ रहते हैं, तो आप अधर्म का साथ देते हैं
भीम ने गदा युद्ध के नियम तोड़ते हुए दुर्योधन को कमर के नीचे मारा
ये देख बलराम बीच में आए और भीम की हत्या करने की ठान ली।
तब श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम से कहा.
आपको कोई अधिकार नहीं है इस युद्ध में बोलने का क्योंकि आप न्यूट्रल रहना चाहते थे ताकि आपको न कौरवों का, न पांडवों का साथ देना पड़े। इसलिए आप चुपचाप तीर्थ यात्रा का बहाना करके निकल लिए।
(१) भीम को दुर्योधन ने विष दिया तब आप न्यूट्रल रहे,
(२) पांडवो को लाक्षागृह में जलाने का प्रयास किया गया, तब आप न्यूट्रल रहे,
(३) द्यूत क्रीड़ा में छल किया गया तब आप न्यूट्रल रहे,
(४) द्रौपदी का वस्त्रहरण किया आप न्यूट्रल रहे,
(५) अभिमन्यु की सारे युद्ध नियम तोड़ कर हत्या की गयी, तब भी आप न्यूट्रल रहे!
आपने न्यूट्रल रह कर, मौन रह कर, दुर्योधन के हर अधर्म का साथ ही दिया! अब आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप कुछ बोलें।
क्योंकि धर्म-अधर्म के युद्ध में अगर आप न्यूट्रल रहते हैं तो आप भी अधर्म का साथ दे रहे हैं...
आज हमारा ये देश 712 ई. से धर्म युद्ध लड़ रहा है और हर नागरिक इसमें एक सैनिक है!
साभार सोसल मीडिया
मेरे चरित्र पर जो गांधी वध के खूनी छीटे है
देश हित में हमको हत्यारा रहने दो हम गोडसे ही अच्छे है ।
आपका
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "
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