हे परशुराम धरो अवतार
फिर जागो जग में एक बार
हे ओस बूँद के कोमल हार - जग जननी के प्रथम लाल
जीव जगत तुम ॐ माद - स्वाश धरा की प्रथम नाद !!
सृष्टि सृजन के कपाल काल - बसन्धुरा के ललाट लाल
हृदय कान्ति कंचन काया - वेदनीति की निर्मल छाया !!
अमृत कलश तुम धरा धार - अनमोल निधि जग मणि हार
अदम्य शक्ति निशंक ज्ञान - प्रखर बुद्धि बूँद बिज्ञान !!
प्रथम शिखर सिरमौर पार - जग गूढ़ सागर बूँद सार
ज्ञान सैयाम छमा दान - वेद विधा जग शौर्य शान !!
हे प्रचण्ड परशु की शान्त धार
फिर जागो जग में एक बार !!
हे भूत भविष्य के पालन हार - वर्त्तमान की मौन धार
धरा धर्म के आदि अन्त - नीति जनक जग शिखर संत !!
पवन वेग के हृदय मान -परशु विधा की प्रलय शान
शीतल स्वक्ष् शिखर चाँदनी - सूरज सी अँगार आगानी !!
भरा नसों में शक्ति सार - जान्ह्वी जीवन प्रखर धार
कर्म नीति तुम मानव तंत्र - जीव जगत के बीज मन्त्र !!
धरा धर्म की मधुर तान - शिव ताण्डव के सहज गान
तृण मौन तरुण तरुणाई - तापस अम्बर सी अंगड़ाई !!
हे शास्त्र शस्त्र परमाणु सार
फिर जागो जग में एक बार !!
हे शक्ति ज्ञान की प्रखर आग - हुँकार तुम्हारी प्रलय राग
श्रष्टि प्रलय तुम्हारी सांसो में - जग सार भरा सब आँखों में !!
भूचाल पला पग बैरागी - संग्राम सजा नख अनुरागी
सिंह नाद के उदय अन्त - वेद विधा के शक्ति सन्त !!
शम्भु जटा के गूढ़ सार - जग तिमिर ताण्डव खिंच मार
जल वायु अम्बर धरा आग - जग जीव जगत तू पुनः जाग !!
कण कण गूँजे हृदय राग - देवेन्द्र स्वांश बन धार जाग
सम्मान सैयाम ऐश्वर्य अवतारी - स्वस्थ सुखी जग उपकारी !!
हे अदम्य शक्ति विशवास सार
फिर जागो जग में एक बार !!
हे दिव्या ज्ञान के प्रथम दीप - जग मग जग श्रष्टि प्रकाश
पाषाण शिखर की हृदय शीला में -अमर अँकित कर इतिहाश !!
वेद नीती जीवन साँसे बन - धरा धर्म हृदय धड़कना है
सत्य सपूत अमृत धरा बन -विशब विजयी सिरमौर चमकना है !!
देवेन्द्र मती अरु हृदय राग - शंख नाद बन धरा जाग
जीव जगत तुम प्रथम आर्य - तुम्ही आदि शंकराचार्य !!
बिज्ञान वेद गुरु द्रोण नाम - चाणक्य विप्र तुम परशुराम
रश्मी रथि अब आत्म राग -बन ज्ञान सैयाम शक्ति जाग !!
हे परशुराम धरो अवतार - फिर जागो जग में एक बार !!
हे सत्य सनातन शिव स्वरुप सरकार
जागो फिर जागो जग में एक बार !!