सोमवार, 20 अप्रैल 2015

     हे परशुराम धरो अवतार
     फिर जागो जग में एक बार
हे ओस बूँद के  कोमल हार - जग जननी के प्रथम लाल 
जीव जगत तुम ॐ माद     -  स्वाश धरा की प्रथम नाद !!
सृष्टि सृजन के कपाल काल - बसन्धुरा के ललाट लाल 
हृदय कान्ति कंचन काया   - वेदनीति की निर्मल छाया !!
अमृत कलश तुम धरा धार   - अनमोल निधि जग मणि हार 
अदम्य शक्ति निशंक ज्ञान -  प्रखर बुद्धि बूँद बिज्ञान !!
प्रथम शिखर सिरमौर पार   - जग गूढ़ सागर बूँद सार 
ज्ञान सैयाम छमा दान      -    वेद विधा जग शौर्य शान !!
   हे प्रचण्ड परशु की शान्त धार 
   फिर जागो जग में एक बार !!
हे भूत भविष्य के पालन हार  - वर्त्तमान की मौन धार 
धरा धर्म के आदि अन्त  - नीति जनक जग शिखर संत !!
पवन वेग के हृदय मान  -परशु विधा की प्रलय शान 
शीतल स्वक्ष् शिखर चाँदनी  - सूरज सी अँगार आगानी !!
भरा नसों में शक्ति सार  - जान्ह्वी जीवन प्रखर धार 
कर्म नीति तुम मानव तंत्र  - जीव जगत के बीज मन्त्र !!
धरा धर्म की मधुर तान  - शिव ताण्डव के सहज गान 
तृण मौन तरुण तरुणाई  - तापस अम्बर सी अंगड़ाई !!
हे शास्त्र शस्त्र परमाणु सार 
फिर जागो जग में एक बार !!
हे शक्ति ज्ञान की प्रखर आग  - हुँकार तुम्हारी प्रलय राग 
श्रष्टि प्रलय तुम्हारी सांसो में  - जग सार भरा सब आँखों में !!
भूचाल पला पग बैरागी  - संग्राम सजा नख अनुरागी 
सिंह नाद के उदय अन्त  - वेद विधा के शक्ति सन्त !!
शम्भु जटा के गूढ़ सार  - जग तिमिर ताण्डव खिंच मार 
जल वायु अम्बर धरा आग  - जग जीव जगत तू पुनः जाग !!
कण कण गूँजे हृदय राग  - देवेन्द्र स्वांश बन धार जाग 
सम्मान सैयाम ऐश्वर्य अवतारी - स्वस्थ सुखी जग उपकारी !!
हे अदम्य शक्ति विशवास सार 
फिर जागो जग में एक बार !!

हे दिव्या ज्ञान के प्रथम दीप  - जग मग जग श्रष्टि प्रकाश
पाषाण शिखर की हृदय शीला में -अमर अँकित कर इतिहाश !!
वेद नीती जीवन साँसे बन - धरा धर्म हृदय धड़कना है  
सत्य सपूत अमृत धरा बन -विशब विजयी सिरमौर चमकना है !!
देवेन्द्र मती अरु हृदय राग - शंख नाद बन धरा जाग 
जीव जगत तुम प्रथम आर्य - तुम्ही आदि शंकराचार्य !!
बिज्ञान वेद गुरु द्रोण नाम - चाणक्य विप्र तुम परशुराम 
रश्मी रथि अब आत्म राग -बन ज्ञान सैयाम शक्ति जाग !!
हे परशुराम धरो अवतार - फिर जागो जग में एक बार !!
हे सत्य सनातन शिव स्वरुप सरकार 
जागो फिर जागो जग में एक बार !!

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