गुरुवार, 5 मई 2022

       सच में ब्रम्मण बड़े निरदई ,स्वार्थी ,और लोभी थे आज का समाज यही सोचता है....... ?

मैं भी पहले यही सोचता था फिर अध्ययन किया, मैंने उन ब्रम्मण बिरोधी नेताओ की जीवनी भी पढ़ी जिनकी योग्यता का आधार ब्रम्मण थे

सुदामा ने दलिद्रता के लिए श्रापित श्री कृष्ण के हिस्से के चने भी इस लिए खा लिए थे की उमके मित्र श्री कृष्ण को दलिद्रता ना घेरे ! मित्र के हिस्से की दलिद्रता को वरण करने बाले मित्र और मित्रता की परिभाषा मूर्खों के समझ में नहीं आइ !

पशुराम जी ने २१ बार विधर्मियो का विनाश किया उनके राज्य जो जीते सब गरिवो को दान में दे दिया स्वयं जंगल में कुटिया बना कर रहते थे ! ये दानवीरता , निर्लोभिता और उदारता समाज को नहीं दिखी !

चाणक्य खुद राजा नहीं बने उन्होने एक गरीब चरवाहे को अपनी योग्यता और कुशल नीति से राजा बना दिया ! ये योग्यता समाज के लिए ऊँच नीच के भेद से कितनी ऊपर थी जिसे समझने  और स्वीकारने का साहस किसी ने नहीं जुटाया !

दधीचि ने अपनी हड्डियाँ मानवता के हितार्थ जीवित तन से अलग कर दान कर दिया ! समाज हित में यह बलिदान किसी को नहीं दिखा !

सावरकर ने शूद्रों को मन्दिरो का पुजारी बनाया , इस सामाजिक एक रूपता की हत्या किसने की , उन मुग़लों और गोरों के षड्यंत्रो को समझने का यत्न क्यों नहीं किया गया !

देश के प्रधानमंत्री अटल विहारी बाजपेयी ने एक वोट के अभाव में अपनी सरकार गिरा दी परंतु अपना चरित्य नहीं गिराया , प्रधानमंत्री नरसिम्हाराओ ने बाबरी के कलंक को ध्वस्त कर राम जन्म भूमि को मुक्त कराया परंतु कभी उन्होंने इस बात का श्रेय नहीं लिया !

वर्ण व्यबस्था का दोषी भी ब्रम्मण है क्यों की ....... ?


उसने समाज की रक्षा के लिए क्षत्री को शक्ति का व्यापारी अर्थात् राजा, और प्रजा पालक बनाया ! ताकि अन्य समुदाय के लोग निर्भिकता से जीवन जी सके ! ये सामाजिक रचना लोगों की सोच से कोषों दूर रही !

वैश्य को बस्तु का व्यापारी बनाया जिस से सहजता से सभी को ज़रूरत की सामग्री मिल सके ,बस्तु विनिमय और मुद्रा विनिमय का सिद्धांत किसी ने नहीं समझा ,मज़बूत आर्थिक समाज की व्यापार नीति किसी को पल्ले नहीं पड़ी !

ब्रम्मण ने ही शूद्र को सेवा सहित बर्तन,चमड़े, खेती के उपकरण व खेती का व्यापारी श्रम का व्यापारी बनाया  ! ता की वेरोज़गारी की समस्या ना हो समाज की व्यवस्था सुचारु रूप से संपनता के साथ चलती रहे ! इसमें भी लोगों ने अच्छाई नहीं निंदा ही ढूँढी !

ब्रम्मण को अपनी योग्यत का अभिमान ना हो अपनी बिलक्षण प्रतिभा पर घमंड ना हो इस लिए उसने भीख माँग कर भोजन करने का संकल्प लिया और शिक्षा का दान देना शुरू किया ! सभी वरणो को व्यापार से जोड़ा खुद शिक्षा का दान करता रहा , भीख माँग कर भी सभी वरणो के कल्याण की कल्पना क्या किसी और ने की है ! ब्रम्मण की देशभक्ति और सामाजिक उत्थान के सिद्धांत को समझने और स्वीकारने की हिम्मत किसी ने नहीं जुटाई !

फिर भी सब की नज़रों में सब से ज़्यादा दोषी,लोभी,स्वार्थी,ब्रम्मण ही निरूपित किया गया , ईमानदारी से वेदों का अध्ययन करने की ज़रूरत है जिसमें सामाजिक मज़बूत व्यवस्था और सभी वरणो का सम्मान है ,इतिहास जिसमें देश को ग़ुलामी से मुक्त करने सब से अधिक बलिदान देने के प्रमाण है और अपने साथ घटित हुई व्यावहारिक घटनाओं का आँकलन ह्रदय में हाथ रख कर करना फिर पूरी ताक़त से उस ब्रम्मण का विरोध करना जिसे आप का ह्रदय धिक्कारे ! 
इस दुनिया ने सामाजिक समरस्ता के ह्रदय को लहू लुहान किया है उसे प्रताड़ित और उपेक्षित किया है फिर भी परशुराम के बंसज ने शास्त्र नहीं उठाए , विदेशी सत्ता के षड्यंत्र कारियों ने भारत में आधिपत्य हेतु ब्रम्मण को निशाना बनाया कर बदनाम किया षड्यंत के दस्तावेज तयार कर सामाजिक शक्ति को जीर्णक्षीरण किया ताकी सहजता से की देश को ग़ुलाम बनाया जासके उनकी यह नीति सफल हुई क्यों की यहाँ के लोगों ने मुग़लों और ब्रिटिशो को स्वीकारा और अपने हित के स्तम्भ को ध्वस्त किया , आज भी सामाजिक समरसता के पट ब्रम्मण ने खोल रखे है जिसे राजनीति और सत्ता लोभियों ने फिर षड्यंत्र पूर्वक बंद करने के प्रयश किए है और कर रहे है , सभी वर्ण चिंतन अर्थात् स्व चिंतन करे , इस समाज और राष्ट्र ने क्या खोया, क्या पाया और क्या बोया है !

दुनिया ग़लत सावित करने की कोशिश करती रहे करने देना , हे विप्र तुम अपने संस्कारो सहित जन कल्याण में जुटे रहना , ईश्वर ने तुम्हें समर्थ दिया है तो ये सव तुम्हें ही सहना ,सुनना और करना है !

मेरा आत्म उद्ग़ार समर्पित है सारे संसार को
इस लेख को जाती में बटकर नहीं सत्यता को आधार बना कर पढ़े ,समझे तो सामाजिक सौहार्द के हित में स्वीकारे

दुनिया के सभी सनातनी बंधुओ को शास्त्र युक्त शस्त्र पूजन के अधिकार अर्थात् भगवान परशुराम जी के प्राकट्य दिवश  की अनंत कोटि शुभकामनाए  !



  आपका
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें