भारत सदेव ही भगवान और भाग्य भरोषे रहा है देश के कर्ण धार हमेश राजनीति के प्रपंच में खुद और देश को उलझाये रहे है देश के भीतर राष्ट्र नीति का पूरी तरह अकाल है जिस पर युवाओं को चेतना होगा बर्ना आज़ादी का सूरज ज्यादा दिन तक रोशनी नहीं देगा गुलामी का अँधेरा दरवाजा खट खटा रहा है फिर भी राजनीति के धृतराष्ट्र मौन है जो चिन्तनीय है ?
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