मंगलवार, 31 दिसंबर 2013


ईद -ईद मिलादुन्नवी हो या क्रिश्मस चाहे ईसाइयो का नया साल इन सब में पहली वांग हिन्दू ही देता है बाह रे हिन्दू तेरी कुकड़ू कु जो सब के लिए तो है लेकिन खुद अपने लिए तो चिर निद्रा में आज भी सो रहा है और एक दिन गुमनामी के अन्धकार में खो जाने को तैयार है भारत के बहोत से राज्य इशाई होगये धर्मान्तरण और कट्टरता ने गली गली में हिन्दुओ का अपमान किया और हम सदियो से लुटते पीटते उनकी ही  खुशामदी में लगे है जिन्होंने हमें कभी भी हमारे त्योहारो में सम्मान नहीं दिया न ही हमें बधाईया दी फिर भी हम उनकी ही चरण वंदना में लगे है ये गुलामी कि मानसिकता का उदाहरण है हे हिन्दू तुम गुलाम नहीं न किसी कि विरुद बाली गाने बाले भांट ही हो तुम धरती के प्रथम नाद हो हिन्दू खुद को पहचानो जो सम्मान दे उसे सम्मान दो परन्तु अपनी आन सम्मान और मर्यादा का अपमान सह कर नहीं हिन्दू तू कायर नहीं सपूत है फिर किस भय बस खामोश है

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