बुधवार, 18 दिसंबर 2013


समलैंगिकता क्या देश के नेताओ कि जरुरत है.कभी लीविंग रिलेसन कभी ग्रुप सैक्स कभी वाइफ शैपिन जैसी बेहूदी बातो में संसद और देश का नेता फॅसा है तो ऐसे निकम्मोसे देश के तरक्की कि तस्वीर साफ़ ही है कुंठित मानसिकता के पुजारियों आँखे खोलो  समलैंगिकता जो कि जानवर भी पसंद नहीं करते फिर ये मुद्दा इंसानो के लिए क्यू जरुरी होगया इस पर बहश करके या इस दुस्कर्म को करने कि अनुमति देकर सरकार क्या सिद्ध करना चाहती है बोटो कि राजनीती हेतु यदि कल कोई विछिप्त हत्या करने कि अनुमति मागेगा और उसके बदले हत्यारो के बोट बैंक कि बात कर सरकार के समर्थन कि बात करेगा तो मुमकिन है ये बिल भी संसद में पास ही हो जायेगा जैसे कि साम्प्रदायिकता दंगा बिरोधी बिल के दंगा करे मुसलमान और सजा मिले हिन्दू को बाह रे नेता इसबिल के नाम पर देश के हिन्दुओ को नपुँसक बनाने कि कोसिस कि जा रही है 20 करोड़ कि जनसंख्या पार करचुका अल्पसंख्याक देश को क्या मुगलिस्तान बननेतक अल्पसंख्याक ही रहेगा और हिन्दुओ कि बोट पर राज्य करने बाले यूही संसद के भीतर ख़ामोशी से हिन्दुओ के विनाश का तन बाना बुनते रहेगे आज के हालात को देख कर ऐसा लगता है कि देश के नेता अब तर्क या सास्त्र से नहीं मानाने बाले इनको समझने और देश को बचने हिन्दुओ को अब परशुराम बनाना होगा हिन्दू जागो रे 

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