मंगलवार, 30 जुलाई 2024

   आज सनातन को समूल समाप्त करने शिखण्डियों की फ़ौज है
और इस पवित्र भारत में शिखण्डियों की ही मौज है ।

आर्यावर्त-भारत जो देवभूमि, संत, गौ, गंगा और प्रकृति के अपार वात्सल्य के साथ योग, 
कर्म-कर्तव्यों की मर्यादा भूमि जिसका कण-कण पूजित है, पवित है, 
क्या वह हमारे संतुष्टि और गर्व के लिए कम है..?

अध्यात्म और साधना की वह शक्ति जो साधारण से साधारण व्यक्ति भी पत्थर पूजकर उसे ईश्वर रूप में जागृत कर बारदान प्राप्त करने की विधा का मर्मज्ञ हो उनके लिए ईश्वर ने स्वयं इस भू भाग को आर्यावर्त-देव भूमि के रूप में स्थपित करने अनेकों जन्म लिए, परंतु अस्थिर मांसिकता तथा स्वयं को दूसरो से प्रथक दिखाने की छणिक होड़ ने उस सनातन का बार-बार अपमान किया जिसने हमे सतमार्ग से मोक्ष अर्थात् ईश्वर प्राप्ति का सहज मार्ग बताया, हम भ्रमित ना हो सत्य और सनातन की मर्यादा हमारे हाँथो तार-तार ना हो इसी लिए गुरु शिष्य परंपरा के साथ मंदिरों की स्थापना की गई ।
आज पुरातन काल की पवित्र परंपरा जीर्ण-छीर्ण इस लिए हो रही है की हमने अपने अंदर झांकना और स्वयं को पहचानना छोड़दिया है स्पष्ट है कि हम स्वयं से दूर अर्थात् संस्कृति, सनातन की मर्यादा और सत्यता से दूर हुए है, हम चेतना शून्य हुए है, इसका कारण सिर्फ़ एक ही है की सनातन को समाप्त कर दिया जाए तो यह राष्ट्र सदा-सदा के लिए ग़ुलाम अथवा समाप्त हो जाएगा, जिस हेतु विदेशों से और राष्ट्र विरोधियों से अकूत पैसा भारत में उड़ेला जा रहा है, देखने और समझने की ज़रूरत है की कोई बाबा अचानक पैदा होता है और अरबपति बनजाता है, टीवी चैनलो में पैसे के दमपर उसके चमत्कार और महिमा मंडन के कार्यक्रम प्रचारित होते है । इस भ्रम में हम स्वयं के अस्तित्व को भूलकर अपने बिनाश को स्वीकार करलेते है, क्या यह चिंतन का विषय नहीं की हम भ्रमित है..?

सनातन के पालन और पथदर्शन के लिए शंकराचार्यों की चार पीठों को चारो दिशाओं में स्थापित किया  (बद्रीनाथ, रामेश्वरम, जगन्नाथ पुरी, द्वारिका पीठ) 

गोवर्धन पीठ-जगन्नाथ पुरी, उड़ीसा 
जिनके देवता-जगन्नाथ भगवान, देवी-विमला, तीर्थ-महोदधि, वेद-ऋगवेद, महावाक्य-प्रज्ञान ब्रह्म, प्रथमाचार्य-पद्मपादाचार्य, ब्रह्मचारी-प्रकाश और पीठाधीश्वर के पद पर-अनंत बिभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री निश्चलानंद सरस्वती जी महाराज वर्तमान में विराजमान है ।

श्रृंगेरी पीठ-कर्नाटक
जिसके देवता-आदिवाराह, देवी-कामांक्षी, तीर्थ-रामेश्वर, वेद-यजुर्वेद, महावाक्य-अंह ब्रह्मास्मी, प्रथमाचार्य-हस्तामलकाचार्य, ब्रह्मचारी-चैतन्य, और पीठाधीश्वर के पद पर-अनंत बिभूषित जगद्गुरु  शंकराचार्य स्वामीश्री तीर्थ भारती जी महाराज और चल गद्दी पर विधुशेखर भारती जी महाराज वर्तमान समय में विराजमान है ।

शारदा पीठ- द्वारका, गुजरात 
देवता-सिद्धेश्वर, देवी-भद्रकाली, तीर्थ-गोमती, वेद-सामवेद, महावाक्य-तत्वमसि, प्रथमाचार्य-सुरेश्वराचार्य, ब्रह्मचारी-स्वरूप, और पीठाधीश्वर के पद पर अनंत बिभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री सदानंद जी महाराज वर्तमान समय में विराजमान है ।

ज्योतिषपीठ-बद्रिकाधाम उत्तराखण्ड
जिसके देवता-नारायण, देवी-पुर्णागिरी, तीर्थ-अलकनंदा, वेद-अथर्ववेद, महावाक्य-अयमात्मा ब्रह्म , प्रथमाचार्य-त्रोट्काचार्य, ब्रह्मचारी-आनंद, और पीठाशीश्वर के पद पर अनंत बिभूषित जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामीश्री अवि मुक्तेश्वरानंद सरस्वती जी महाराज वर्तमान समय में विराजमान है ।

आचार्य परम्परा अर्थात् ज्ञान और विज्ञान का अकूत भंडारण जो हमे विरासत में प्राप्त हुआ उसके अनुरूप, निम्बारकाचार्य, माधवाचार्य, बल्लभाचार्य, रामानन्दाचार्य और रामानुजाचार्य की परंपरा वर्तमान समय में विदमान है । पवित्र सनातन और राष्ट्र की रक्षा, उसके उत्थान और समाज को शिक्षित, सबल, संपन्न, शक्तिशाली बनाने के लिए ही तेरा अखाड़ो का निर्माण किया गया था ।
श्री पंचायती महानिर्वाणी अखाड़ा,
श्री पंचअटल अखाड़ा, श्री पंचायती निरंजनी अखाड़ा, श्री तपोनिधि आनंद पंचायती अखाड़ा, श्री पंचदशनाम  जूना अखाड़ा, श्री पंचदशनाम आव्हान अखाड़ा, श्री पंचदशनाम अग्नि अखाड़ा, श्री दिगंबर अनि अखाड़ा , श्री निर्वानी अनि अखाड़ा, श्री पंच निर्मोही अनि अखाड़ा, श्री बड़ा उदासीन अखाड़ा, श्री पंचायती नया उदासीन अखाड़ा, श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा, है ।
सभी के कार्य विभाजित है, सनातनी जानता का विश्वास युक्त अंकुश इस पारंपरिक अखाड़ो से अलग हुआ, संतों से संबाद हीनता, सत्संग और देश तथा समाज के उत्थान की चर्चाये बंद हुई तो अखाड़े भी निरंकुश हो गए, नये अखाड़े बनाने लगे किन्नर अखाड़े का निर्माण करदिया गया किसी ने ना तो प्रतिरोध किया ना ही संतों और मठाधीशों की घेरा बंदी की यह सामाजिक उदासीनता भारत के लोगो को भले ही समझ नहीं आई परंतु भारत को नष्ट-भ्रष्ट करने की ताक में बैठे षड्यंत्रकारियो ने इसका लाभी उठाया और सनातनी भारत को वैदिक धर्म से भटकाने के लिए ही राधे माँ-सुखविंदर कौर, निर्मल बाबा-निर्मल जीत सिंह, रामपाल बाबा, राम रहीम-गुरमीत सिंह, आशाराम-आशुमल शिरमलानी, नारायण सरकार, नित्यानन्द, सच्चिदानंद गिरी-सचिन दत्त, इक्षाधारी भीमानंद-शिवमूरत दुवेदी,स्वामी असीमानंद,नारायण साईं, आचार्य कुश्मुनि, वृहस्पति गिरी, मालखान गिरी बाबा, ॐ नमः शिवाय बाबा, जैसे सनातन विरोधियों को आश्रय देकर संपूर्ण राष्ट्र को पतन के पथ पर चलने को मजबूर किया, इस पतन और फलते-फूलते पाखंड के सामने पुरातन संत परंपरा इस लिए भी घुटने टेकने लगी की अधिकांस अखाड़े, आचार्यों के विरुद्ध फर्जी संतों को खड़ाकर सरकारों ने भी अपने ग़ुलाम संत पैदा कर धर्म को भर नहीं संपूर्ण राष्ट्र, समाज और परंपरा को धोखा दिया स्वघोषित शंकराचार्य, जगद्गुरु, महामंडलेश्वरों की गड़णा करना मुस्किल है कारण स्पष्ट है हमे अपने धर्म के विनाश के कोई सरोकार नहीं, परंतु हम यह भूलगए की हमारा अस्तित्व हमारा धर्म ही है जिसके सामने संसार नतमस्तक होता था आज दुनिया उस अलौकिक शक्ति को मिटाकर भारत को ग़ुलाम बनाने में सफल हो रही है, और भारत के सनातनी आराम से पाश्चात् सभ्यता को आदर्श रूप में स्वीकार कर मदहोशी में थिरक रहे है, जब तक यह चैतन्य होगा तब तक हमारी सभ्यता संस्कृति परम्पराएँ समाप्त हो चुकी होगी हमारे पास क़िस्से और कहनियों के शिवाय कुछ भी नहीं होगा, आज निर्विबादित कोई भी पीठ, कोई भी आचार्य, कोई भी अखाड़ा नहीं रहा, इस बात से अंदाज़ा लगाया जा सकता है की भारत की अब अल्प आयु बची है कर्म और धर्म विहीन देश दीर्घ जीवी कभी नहीं हो सकता । 

हम धार्मिक-आध्यात्मिक और बौद्धिक रूप से कंगाल होरहे है ।
हमने स्वयं को छोड़कर संसार को पहचानने का यत्न किया, हमने स्व कल्याण की छाती में ख़ंजर भोपकर विश्व कल्याण का आडंबर किया परिणाम सामने है ।

चिंतन करे और सार्थक यत्न भी, कमियाँ नहीं समाधान ढूढ़े, संतों से दूरी नहीं नक़दीकी बढ़ाए, परंपराओं पर परिहास नहीं उनके पालन की प्रतिज्ञा ले शायद आप के सार्थक यत्न से आर्यावर्त का एक छोटा सा टुकड़ा भारत जो आप का अपना बचा है उसे सुरक्षि करने में सफल हो जाए 



 आपका
देवेन्द्र पाण्डेय

सोमवार, 22 जनवरी 2024

अपने बनकर दुश्मन जब सीने में ख़ंजर मरेगे, वो मेरे अपने है तव मेरी हार सुनिश्चित है ।

सभी सनातनियों की श्रद्धा और बलिदान शामिल है, जन्म भूमि की मुक्ति में ।
रामलला की भूमि है किन्ही दलालों, दोगलों और चंदा चोरों के बाप की जागीर थोड़ी है ।

घटनाएँ अहंकार के बाशीभूत घटित हो जाती है 
लेकिन घटनाओं के परिणाम और उसके दर्द व समवेदनाएँ शादियों तक इतिहास में जीवित रहती है ।

आओ हम सब मिलक़त आज अपने ग़ुलामी और अस्तित्व के विनाश का उत्सव मनाये, अहंकारी शाशक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर भाई मोदी ने आज 22 जनवरी 2024 को अपने पैरो तले सनातन, संत, वेदों और पुरातन परंपराओं को रौद कर (अयोध्या में राम जन्मभूमि पर -बिना शिखर, बिना ध्वज-अधूरे बने निर्माणाधीन मंदिर में, विना पत्नी के राम की मूर्ति स्थापना के नाम पर ) अपने पद का शक्ति प्रदर्शन करते हुए राजनैतिक अहंकार की स्थापना की है,

वर्षों के संघर्ष के बाद जन्म भूमि का वैभव सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद सनातनियों को मंदिर के रूप में प्राप्त हुआ । जिस भूमि को प्राप्त करने लाखों राम भक्त बलिदान हुए, वर्षों का इतिहास जब सनातन की गौरव गाथा गाने के लिए तत्पर था तब लोकसभा चुनाव जीतने के लोभ में अधूरे बने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने की तानाशाही जिद ने संतों को अपमानित किया, संतों में भेद पैदा कर उन्हें आपस में लड़बाया, नकली संतों की स्थापना की, वैदिक विधान को तार तार करते हुए आखिर राम के नाम पर स्व स्थापना की गई । यदि प्रतीक्ष की जाती तो अधिक से अधिक 3-4 महीने में मंदिर पूर्ण वैभव के साथ अपनी सुंदरता को प्राप्त करता , फिर फर्जी गुम्बज बांस बल्ली का प्रदर्शन करने कपड़े लगाकर प्राण प्रतिष्ठा नाही करनी पड़ती वल्की वास्तविक वैदिक परंपरा और प्रशन्नता के अद्वतीय वातावरण में उत्सव का आनंद आत्मिक होता ।

22 जनवरी 2024 को 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक । यानि प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकंड का है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाँथो सम्पन्न हुई प्रभु श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा इस अवसर पर RSS प्रमुख मोहन भागवत(काली जैकेट में), उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्री राम जन्मभूमि मंदिर में उपस्थित रहे ।

अंततः प्रभु श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई । प्रभु श्री राम जी पधारें, विराजे, सनातन धन्य हुआ ।

भए प्रकट कृपाला दिन दयाला कौशिल्य हित कारी

यह चौपाई सभी सनातनियों और सत्ता को भी स्मरण रहनी चाहिए ।
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥

बधाई बधाई बधाई 

परंतु कुछ प्रश्न जो राम जन्मभूमि की मर्यादा रक्षा से जुड़े और उठे है उनकी ताप कभी ख़त्म नहीं होगी । मंदिर का वैभव जब तक अमर रहेगा तब तक ये प्रश्न भी मंदिर की मर्यादा के साथ हुए अमर्यादित कृत्यों का स्मरण दिलाते रहेगे । मुझे प्रसन्नता है की जन्मभूमि अयोध्या में प्रभु श्री राम जी का मंदिर बनरहा है, यदि अपने पूर्ण वैभव में यह मंदिर निर्मित-तैयार हो गया होता, सभी सनातनी, संत भाव विभीर होकर झूमते, कीर्तन करते प्राण प्रतिष्ठा के आनंदित उत्सव में पधारते विना कहे घर घर घी के दीप प्रज्वलित होते, मिठाईया बँटी जाती और गली गली में जय श्री राम का जयकारा गुंजायमान होता (राजनीति के नफ़े नुक़्शान का सौदा नहीं धार्मिक उन्माद का उत्सव होता तो राम भक्ति में सराबोर सम्पूर्ण श्रृष्टि सनातन के वैभव से झूम उठती) तो वह पल शादियों तक भक्ति के आनंद में सनातनियों को गुद गुदाता रहता । परंतु आज की प्रशन्नता में जो टीस है वह तो जीवन पर्यंत रहेगी ही ।

अहंकार के बसीभूत भक्ति का प्रदर्शन करने बाले मंदिर को अपने षड्यंत्र की वेडियो में जकड़ने बालों से इन प्रश्नों का उत्तर मिलने की आपेक्षा रत्ती भर भी नहीं है परंतु प्रश्न तो अडिग होकर खड़े ही है ।

1949 में रामलाल किसकी आराधना से प्रकट हुए । क्या उनके नाम और उनके तप का स्मरण भी इन्होंने किया….?
राम जन्मभूमि में रामलला जी के दर्शन के अधिकार की प्रथम अपील न्यायालय में किसने की जिसके आधार पर पूजन,दर्शन और जन्मभूमि में प्रवेश का अधिकार सनातनियों-हिंदुओ को मिला था, क्या वह स्मरणीय नहीं…?
के.के. नैयर साहब अखिल भारत हिंदू महासभा की निश्चल भक्ति से इतने प्रभावित क्यों थे की उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभपंत के आदेश (गर्भ गृभ में स्वप्राकट्य मूर्ति हटाने ) को मानने से मना कर दिया, क्या यह वृतांत स्मरणीय नहीं…?
फैजाबाद-गोंडा न्यायालय का फ़ैसला कब और क्या हुआ क्या इस की चर्चा नहीं होनी चाहिए,भाजपा, आर.एस.एस. और वीएचपी को अपनी तात्कालिक भूमिका (मर्णासन्न स्थिति) का खुलासा नहीं करना चाहिए …?
हाईकोर्ट में किसने साक्ष दिये किसे फटकार मिली, पैरोकार कौन था, अपनी जबरन वाह वही कर मीडिया और देश में भ्रम फैलाने बाले झूठी गवाही बाले रामभद्राचार्य की चर्चा नहीं होनी चाहिए…?
जस्टिस सुधीर अग्रवाल के कथानानुशार फ़ैसला ना करने के लिए किसका दवाव था, क्या यह आरोप गंभीर नहीं, क्या इसकी जाँच नहीं होनी चाहिए, क्या यह सत्यता सामने नहीं आनी चाहिए की राम जन्मभूमि का फैसला रुकबाने का यत्न करने बाले कौन राक्षस थे, क्या यह गंभीर आरोप जाँच का विषय नहीं…?
हासिम अंसारी जब देवेन्द्र पाण्डेय से मुलाक़ात पर ज़मीन मंदिर निर्माण के लिए देने को तैयार थे फिर किसके कहने पर वह सुप्रीम कोर्ट गया उसे मुक़दमा लड़ने के लिए मनसिक और आर्थिक मदद किसने की क्या यह षड्यंत्र जानता के सामने नहीं आना चाहिए…?
राम मंदिर के चंदे में 1400 करोड़ की चोरी किसने की क्या यह घोटाला उजागर नहीं होना चाहिए…?
2 करोड़ की जमीन मात्र दो घंटे के भीतर 18 करोड़ में किस के आदेश और सहमति पर राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने ख़रीदी क्या जानता की के आस्था के पैसे पर ज़मीन ख़रीदी घोटाले के आरोपी को दंड नहीं मिलना चाहिए…?
मुलायम सिंह यादव ने हिंदुओ पर शांति पूर्ण प्रदर्शन के बाद भी गोलिया क्यों चलाई, इस षड्यंत्र में भाजपा, आर.एस.एस और व्ही.एच.पी. के संदेहास्पद भूमिका की जाँच नहीं होनी चाहिए…?
निहत्थे हिंदुओ की हत्या कराने बाले मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण क्यों किया गया, क्या यह निहत्थे राम भक्तों की हत्या का पुरुष्कार है…?
सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले से 20 दिन पहले हिंदू महासभा की तरफ से राम जन्मभूमि मुक़दमे के पैरोकार कमलेस तिवारी की हत्या क्यों हुई क्या यह आश्चर्यजनक और संदेही वा जाँच का विषय नहीं है…?
अशोक सिंहल जो की जन्मभूमि आंदोलन के मुखिया थे कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले ही अचानक उनकी मौत कैसे हुई…?
प्रवीण तोगदीय जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में जोश भरा वह कोर्ट के फ़ैसले से पहले अचानक विच्छिप्त हालत में सड़क किनारे नंगे कैसे मिले, उनकी ऐसी हालत कैसे और क्यों हुई …?
प्रखर हिंदुत्व को शक्ति देने बाली माया कोड़नी और बाबू बजरंगी की आज हालत क्या है…?
प्रधान मंत्री मोदी ने शास्त्र के विधान का अपमान किया पत्नी का तिरस्कार किया,यशोदा वेन का तिरस्कार क्यो…?
मंदिर के करीडोर में प्लास्टिक के खंभे क्यों लगाए गए, जब की मंदिर में कही भी लोहा और प्लास्टिक ना लगाने का दावा किया गया, क्या यह निर्माण दीर्घ कालीन है या सिर्फ़ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जल्दी के कारण घटिया निर्माण किया जारहा है, क्या इसका जवाब कोई देगा…?
प्राण प्रतिष्ठा की जल्दी में अधूरे बने मंदिर के गुम्बज में बॉस,बल्ली और कपड़ा लगाकर मंदिर पूर्ण होने का दिखावा क्यों किया गया…?
मंदिर के अधूरे निर्माण के बाद भी प्राण प्रतिष्ठा क्यों, बिना पत्नी के (विबाहित मोदी जी है उनकी पत्नी यशोदा वेन) क्या यह धर्म की मर्यादा का चिरहरण नहीं …?
आदिगुरु शंकराचार्य द्वार स्थापित, गोवर्धनपीठ जिसके शंकराचार्य निश्चलानंद जी, श्रृंगेरी के शंकराचार्य तीर्थ भारती जी श्री विधु शेखर भारती जी, द्वारिकापीठ के शंकराचार्य सदानंद जी और बद्रिका ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का अपमान-तिरस्कार क्या सिर्फ़ इस लिए किया गया की उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा को विधि अनुरूप करने की बात कही, सभी सम्मानित अखाड़े क्या इस महूरत में सर्व सम्मत थे, उनकी अनदेखी और उपेक्षा का कारण क्या है ,संतों की प्राचीन प्राचीन परंपरा के अपमान का षड्यंत्र और फ़र्ज़ संतों का जन्मभूमि में जमाबडा क्यों यह स्पष्ट होना ही चाहिए …?
शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानन्दाचार्य, वल्लभाचार्य, निंबर्काचार्या, मध्यवाचार्य जो की वैष्णव संप्रदाय-सनातन परंपरा के शीर्ष शिखर पद पर विराजमान संत इनके अलबा 13 अखाडो के प्रमुख और आचार्य महामण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर इनसे इस सनातनी इतिहास रचना के संबंध में सम्मानित संबाद होना चाहिए था जो नहीं हुआ, कारण स्पष्ट होना चाहिए…?
राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के बलिदानियों का तिरस्कार क्यों, ना आमंत्रण ना उनकी पूछ परख, जिनका सम्मान होना चाहिए था वह तिरस्कृत क्यों हुए …?
मंदिर के पुजारी की हत्या और दरवाज़ा चोरी की आशंका मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री चंपतराय द्वारा क्या सिद्ध करती है की अयोध्या चोरों और हत्यारों की नगरी है …?
मंदिर के पैरोकार,अन्दोकानकारियो का तिरस्कार और मंदिर के विरोधियों का सम्मान क्यों …?
प्राण प्रतिष्ठा में स्वप्राकट्य राम लला की प्रतिमा लापता क्यों, जिन रामलला जी का स्वप्राकट्य हुआ, जिनके नाम पर न्यायालय में मुक़दमा लड़ागया, जिनके नाम पर आंदोलन हुआ, जिनके नाम पर न्यायालय का फ़ैसला हुआ , जिस मूर्ति की गर्भ गृह में स्थापना होनी चाहिए थी वह मूर्ति लापता क्यों की गई…?
राम जन्मभूमि 2:77 एकड़ के बदले में मुसलमानों को 5 एकड़ भूमि अयोध्या से मात्र 25 किलो मीटर की दूरी पर मस्जिद बनाने के लिए सरकार द्वारा दी गई । धन्नीपुर जो की लखनऊ अयोध्या के मुख्य मार्ग पर स्थित है इसी दिशा में एयरपोर्ट भी है , वहाँ विश्व की सब से बड़ी और सुंदर मस्जिद का संगमरमर से निर्माण होना है । यहाँ ना तो पैग़म्बर पैदा हुए, ना बाबर नाही अकवर पैदा हुआ फिर इस भूमि पर विशाल मस्जिद सिर्फ़ इस लिए बनाई जा रही है क्यों की यहाँ पास में राम जन्मभूमि है जहां भव्य-दिव्य मंदिर प्रभु श्री राम को समर्पित है । इस मस्जिद में 21 फुट ऊँची 36 फुट लंबी चौड़ी क़ुरान रखी जाएगी जो सम्पूर्ण दुनिया के मुसलमानों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी , भविष्य में यहाँ भारत का मक्का मदीना बनाने की तैयारी है । अर्थात् यहाँ रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और सड़क मार्ग से हजारो मुसलमान पहुँचेगे । भविष्य में फिर मंदिर-मस्जिद, हिंदू - मुस्लिम का संघर्ष होगा (हजारो वर्षों के संघर्ष के बाद जन्मभूमि हिंदुओ को मिली है फिर कुछ वर्षों में यह विवाद जोर पकड़ने लगेगा, जैसा की अभी भी दावा किया जाता है की राम जन्मभूमि के पास ही मस्जिद की भूमि सुरक्षिता है जिसके लिये फिर संघर्ष की चर्चा मुसलमानो और अन्य राजनैतिक दलों द्वारा कही न कही सुनाई देती है ) । मस्जिद हेतु भूमि अयोध्या से दूर मुख्य मार्ग से दूर क्यों नही दी गई, दूरगामी परिणामों की अनदेखी क्यों की गई, क्या यह चिंता का विषय नहीं है….?

हम सनातनियों के जीवन में सतत संघर्ष है, पहले जन्मभूमि के मुक्ति के लिए लठिया, गोलीय खाई , फिर मंदिर के  मर्यादा रक्षा,सनातन के विधान, वेदों की मान्यता और संतों के सम्मान के लिए संघर्ष किया, अब मंदिर की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा…?

संपूर्ण भारत से राम भक्त सनातनी अयोध्या जी के सम्मान की पुनः स्थापना के लिए निरंतर संघर्षरत रहे है ।परंतु एक बात बहोत ही स्पष्ट है कि अयोध्या और उसके चरो और लगभाग 30 मील तक चारो तरफ बसे हुए गाँव और वहाँ की बहादुर जनता ने इस पवित्र नगरी और प्रभु श्री राम जी की जन्म स्थली का अस्तित्व बचाने निरन्तर संघर्ष किया प्रणों के न्योछावर की प्रतिज्ञा का वह प्रण जिसके मुताविक लगभाग 10-15 लाख से भी अधिक हिंदुओ ने अपना बलिदान दिया परंतु अपने आराध्य की पवित्र जन्म स्थली को सम्मान सहित स्वतंत्र कराने का अभियान कभी कमजोर नहीं होने दिया, मध्य प्रदेश के रीवा ज़िले की सिरमौर तहसील के जमीदार मकरध्वज प्रसाद पाण्डेय ने भी अनेकों बार अयोध्या ग्रामीणों के आव्हान पर 100 से अधिक घुड़सवार और 1500 से अधिक पैदल सिपाहियों को लेकर अयोध्या को मुक्त कराने हेतु महीनों तक अयोध्या में डटे रहे, अयोध्या का बच्चा बच्चा एक एक ग्रामीण एक एक व्यक्ति अयोध्या के अस्तित्व को ही अपना अस्तित्व मानता था लगातार 500 वर्षों के आस्था पूर्ण संघर्ष की अमित कहानी का साक्षी आज जन्म भूमि पर निर्मित भव्य मंदिर है, अयोध्या वसीयो के साहस को नमन है प्रणाम है । 

(राम जन्मभूमि-अयोध्या, कृष्ण जन्मभूमि-मथुरा, काशी विश्वनाथ के प्राचीन मंदिर, ज्ञानवापी-वाराणसी, लक्ष्मण क़िला-लखनऊ, भोजसाला-धार के लिए अखिल भारत हिंदू महासभा का संघर्ष किसी से छुपा नहीं है , तेजोमहालय-आगरा, विष्णु ध्वज- दिल्ली के लिए हमारे आंदोलनों की उग्रता सर्व विदित है ) धर्म रक्षा के लिए जन्म हुआ है अंतिम सांस तक लड़ते रहेगे ।

हम सत्ता के पथगमी नही, हम स्वाभिमानी, धर्मरक्षक, देशभक्त, जिन्दा हिंदू है । यही कारण है कि देश, धर्म, मर्यादा को मर्याद तार तार होते हुए नही देख सकते । शेष जानता क्या सोचती है वह जाने । इस देश में सभी को चिंतन का अधिकार है और यह मेरा आत्म चिंतन है ।
ईश्वर प्रभु श्री राम जी की पवित्र जन्मभूमि पर नव निर्मित हुए मंदिर के गर्भ गृह में रामलला अनंत काल तक विराजित रहे और समस्त सनातनियो को शक्ति प्रदान करे की वह अपने धर्म की मर्यादा रक्षा करने में सबल हो,
हमारा भारत अजेय हिंदू राष्ट्र बने और हिंदू धर्म के पालकों और मानने बालों का कल्याण करे ।
इति शुभम्
जयतु जयतु जय जय राम 
जयतु जयतु जय हिन्दू राष्ट्रम्

                                                                            आपका
देवेन्द्र पाण्डेय

शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

        

खुली पाती जानता के नाम-जनार्दन के नाम

साधू, संत, महंत, समस्त अखाड़ा, समस्त संप्रदाय, बैरागी, गृहस्त, सनातनी, स्वाभिमानी, देशभक्त और जिन्दा हिंदुओ के नाम । निश्चल चिंतन हेतु । 

मुनि न होही यह निश्चर घोरा, सत्य वचन मनाहु कपि मोरा

 मेरे रामलला कहा है.....?

 यह जन्म भूमि भगवान श्री रामलला की है

रामलला के नाम पर मुकदमा लड़ा गया आज मंदिर के गर्भगृह में रामलला क्यों नहीं है, ना ध्वज स्थापना, ना कलस गुंबद (शिखर स्थापना) ना ही मर्याद पुरुषोत्तम श्री राम जी के विधि अनुरूप प्राण प्रतिष्ठा आखिर सनातन के समाप्त करने का षड्यंत्र तानाशाह शाशक द्वारा हो रहा है और स्वयं को सनातनी, हिंदू होने पर गर्व का नारा लगाने बाला समाज आज भयभीत-लकवा ग्रस्त क्यों है...?

(रामेश्वरम जी में शिव जी की प्राण प्रतिष्ठा के समय रावण पुरोहित और श्री राम जी यजमान थे, माता सीता का अपहरण रावण ने किया था तब भी प्राण प्रतिष्ठा की मर्याद रक्षा के लिए लंका से माँ सीता को बुलाया गया - जब की यह प्रण प्रतिष्ठा रावण के वध और लंका विजय के लिए थी, रावण ने प्राण प्रतिष्ठ पूर्ण कराई, विजय होने का आशीर्वाद दिया- प्राण प्रतिष्ठा की मर्याद प्रभु श्रीराम जी के संदर्भ में यह है । दोवारा जब अश्मेघ यज्ञ होरहा था तब माँ सीता राम जी के पास नहीं थी उनका त्याग हो चुका था लेकिन यज्ञ की मर्याद रक्षा और परंपरा के विधि पूर्ण निर्वाह वेदों के सम्मान के लिए सीता जी की प्रतिमा राम जी के साथ विराजित की गई तब यह अनुष्ठान पूर्ण हुआ ) मोदी जी जो की राम जन्मभूमि में प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हेतु मुख्य यजमान है उनकी पत्नी यशोदा वेन गुजरात में है उनका निरादर भर नही देश के प्रधान मंत्री जी वेदों के विधान का भी अपमान कर रहे है । विधि विपरीत प्राण प्रतिष्ठा की जिद सिर्फ़ चुनाव जीतने के लिए है, भले सनातन की मर्याद तार तार क्यों ना होजाए ….?     मौन समाधान नही है, धर्म रक्षा का नाद हर गली गली में होना चाहिए ।

स्वप्रकट्य रामलला को गर्भगृह में विराजित होना ही चाहिए ।

मुझे सब प्रतिमाएँ जो प्रभु श्री राम जी की है वह स्वीकार है

परंतु स्वप्राकट्य श्री रामलाल जी के साथ, उनके विना नहीं ।

 

निर्दोष पत्नी का अकारण त्याग करने बाले । अपनी माँ की मृत्यु पर भी बाल ना करने बाले ।

गौहत्या अर्थात् गौ मांस निर्यात को बढ़ावा पशु काटने के कारखानो को आधुनिक करने बाले ।

विकास के नाम पर हजारो मन्दिरो को ध्वस्त करने बाले ।

अत्यधिक झूठ बोलना और हर घड़ी अहंकार में रहने बाले ।

संतों और हिंदुत्व वादी नेताओ की हत्या पर मौन रहने बाले ।

संतों का अपमान और सनातन की परंपरा का तिरस्कार करने बाले ।

महामनव मोदी ने संतों का संप्रदायों और अखाड़ो के नाम पर तिरस्कार, संतों में भेद पैदा किया गया ।हिंदुओ में नफरत भर उन्हें आपस में लड़ाकर देश को गृह युद्ध की डेउढ़ी पर खड़ा कर दिया ऐसे व्यक्ति के हाँथो जन्म भूमि पर पूजन पुण्य दायक नहीं बल्कि अनिष्ट कारक होगा । विहार के पटना में रामरथ जो अयोध्या के लिए निकला था जल कर राख हो गया यह अनिष्ट का हो तो संकेत है …?

मंदिर के कारिडोर में लोहे का फ़्रेम और उसपर प्लास्टिक के खंभे,जब की यह प्रचारित किया गया की मंदिर में कही भी लोहे और प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया, प्लास्टिक के खंभों की आयु अधिकतम 2-4 वर्ष की ही होगी फिर भी इनका उपयोग करोड़ोर में भरपूर हो रहा है । बिना शिखर के अधूरा बना मंदिर, जहां संतों को नही नाचने गाने बालों का स्थान निर्धारित हो

वह वैदिक और सनातनी प्रम्परा की प्राण प्रतिष्ठा नही राजनैतिक नौटंकी है ।

सनातन भारत में शंकराचार्य जी की हैसियत है ।

शंकराचार्य जिन्होंने राम जन्मभूमि के विबाद को समाप्त करने की मध्यस्तता भाजपा की तरफ़ से की तमिलनाडु के कांचीपीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी का निधन हुआ 

द्वारका शारदापीठ व ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने रामजन्म भूमि पुनरुद्धार समिति गठित की और आंदोलन खड़ा किया। इसमें गिरफ्तार हुए और चुनार किले में बनाई गई अस्थायी जेल में नौ दिनों तक निवास किया। काशी के साथ ही अयोध्या, चित्रकूट, झोतेश्वर और फतेहपुर में संत सम्मेलन किए। इसके लिए उन्होंने चारों शंकराचार्यों समेत संतों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास का गठन किया। साथ ही 30 नवंबर 2006 को अयोध्या में लाखों अनुयायियों के साथ श्रीराम जन्म भूमि की परिक्रमा की। ऐसे शंकराचार्यों के परलोक गमन पर ना राजकीय शोक ना अवकाश ना ही श्रद्धांजलि ऐसा सम्मान है मोदी जी की नजरो में हमारे देव तुल्य संतों का ।

23 सितम्बर 2015  को ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाराणसी में सैकडो संतों सहित  सड़को में घसीट-घसीट और दौड़ाकर लठियो से पीटा गया मोदी जी ने इस घटना की निंदा तक नहीं की ।

वासुदेवनंद जी जिन्होंने सदैव स्वयं को शंकरचार्या घोषित करने के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी वह मोदी योगी के करीबी और राम मंदिर न्यास के सदस्य बने । अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास ने राम जन्मभूमि में बाबरी बिध्वंस का विरोध करते हुए कहा था हमे भाजपा की सरकार नहीं चाहिए खून में सना हुआ राम मंदिर नहीं चाहिए ।

7 अगस्त 2016 को लखनऊ में महंत ज्ञानदास ने कहा की हमे अखिलेश यादव की सरकार चाहिए] इनके शिष्य राजू दास आज मोदी योगी के बड़े चहेते बने हुए है ।

पुरी पीठाशीश्वर शंकरचार्या निश्चलानंद जी के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचागया नए फर्जी शंकराचार्य को पूरी पीठ के फ़र्ज़ शंकरचार्या के रूप में हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास के शिष्य का वैष्णव तिलक मिटाकर उन्हें वैरागी परंपरा का चंदन लगादिया गया और अधोखजानंद को पुरी का शंकराचार्य घोषित किया गया 

गुरु राम भद्राचार्य झूठे है जिन्होंने अपने गवाही की बाँह बही स्वयं की जब की उनको न्यायालय हाईकोर्ट के जज सुधीर अग्रवाल ने फटकार लगाते हुए कहा की कहानी और कविता नहीं प्रमाण और तथ्य की बात करे ।  सतना सांसद गणेश सिंह जो विधान सभा सतना से विधायकी की चुनाव हार गये ।, रामखेलवन मध्य प्रदेश के मंत्री अमरपाटन विधान सभा से चुनाव हार गये, नारायण त्रिपाठी मैहर से चुनाव हार गये, जीत का जिसे भी आशीर्वाद दिया वो हार गया रामानन्दाचार्य के वरदानों की ऐसी दुर्गति देखने को मिली है ।

चार पीठों की जगह सैकडो फर्जी शंकराचार्य जगदगुरु और महामण्डकेश्वरों को पैदा किया गया ताकि सनातन की पुरातन परिपाटी को नष्ट-भ्रष्ट और समाप्त किया जा सके

 

राम जन्मभूमि की प्राचीन प्रामाणिकता, आंदोलन प्राण प्रतिष्ठा और मोदी की भूमिका

बाल्मीकि रामायण के चौपाई का विश्लेषण करपात्री जी महाराज ने रामायण मीमांसा में करते हुए बताया कि प्रभु श्री राम का जन्म 1 करोड़ 81 लाख 60 हजार 65 वर्ष पहले अयोध्या की धरती जो जन्म भूमि है वहाँ हुआ था  ( करपात्री जी का निधन 1982 में हुआ, अर्थात् 1982 से कम से 30 वर्ष पहले की रचना माने तो रामायण मीमांसा के अनुसार आज से लगभग 1 करोड़ 81 लाख 60 हजार 65 + 70 = 135 वर्ष पहले प्रभु श्री राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था )


जिन्होंने राम जन्मभूमि के मुक्ति हेतु आंदोलन किए, न्यायालय में मुक़दमा लड़ा उन्हें प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 पर अयोध्या में आमंत्रण नहीं है । परंतु जन्म भूमि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की तरफ से पैरोकार हासिम अंसारी के लड़के  इक़बाल अंसारी को निमंत्रण

पौष शुक्ल तृतीया 22-23 दिसंबर की रात्रि 12 बजे 1949 रामलला जी का प्राकट्यमंदिर के गर्भगृह में हुआ, (जब राम जन्म भूमि में मंदिर के गर्भ गृह में रामलला जी का प्राकट्य हुआ उस समय अयोध्या की पवन पवित्र धारा पर अखिल भारत हिंदू महासभा के सनातनी सपूत मा. महंत दिग्विजय नाथ जी-राष्ट्रीय अध्यक्ष , महंत अभिराम दास जी-अयोध्या महामंत्री, पुरणमाल जैन- जिला कार्यकारणी सदस्य, शेषनारायण त्रिपाठी जी-  सदस्य कानपुर कार्यकारणी, गोपाल विशारद जी-जिला अध्यक्ष फैजाबाद, महेंद्र शर्मा (माना) जी- प्रयाग हिंदू महासभा कार्यकारणी सदस्य, भगवान शरण अवस्थी जी- एड.ज़िला कार्यकारणी सदस्य शाहजंहापुर, अंजनी प्रसाद मिश्र जी- कार्यकारणी सदस्य वाराणसी हिंदू महासभा, बृजनारायण ब्रजेश जी- जो की हिंदू महासभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे है और हिंदू महासभा से सांसद भी हुए ।इंद्रसेन शर्मा जी- हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे है । राम लला जी के प्राकट्य के साक्षी समस्त हिंदू महासभा सपूतों को नमन प्रणाम)-ठीक वैसे ही जैसे मध्य प्रदेश धार की भोजसाला के गर्भगृह में अधिष्ठात्री देवी माँ वांगदेवी का प्राकट्य 9-10 सितम्बर 2023 को हुआ , माँ वांगदेवी जी के प्राकट्य पर धार पुलिस ने अखिल भारत हिंदू महासभ के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय, मध्य प्रदेश उपाध्यक्ष शिव कुमार भार्गव, प्रदेश संगठन मंत्री रोहित दुवे, धार जिला अध्यक्ष मनोज सिंह, संगठन के सदस्य माखन वैरागी, रवि सिंह सहित कुल 8 हिंदू महासभ के लोगो को माँ वांगदेवी केप्राकट्य काआरोपी बनाया है ।

'केरल के अलेप्पी के रहने वाले के.के नायर 1930 बैच के IAS अफसर थे उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत से फौरन मूर्तियां हटवाने को कहा.परंतु नैयर जी ने प्राकट्य हुई प्रतिमा के गर्भ गृह से टस से मस नहीं किया । उन्होंने अखिल भारत हिंदू महासभा और संत समाज का पूरा पूरा साथ दिया क्योंकि वह दैवीय शक्तिओं को मानते थे ।

के.के. नैयर की पत्नी अखिल भारत हिंदू महासभ के सदस्य बनी '1957 बस्ती नगर विधान सभा से शकुन्तला नैयर चुनाव जीती, 1967 में बहराईच लोकसभा से के.के. नैयर और कैसरगंज से शकुन्तला नैयर लोकसभ तीन बार लोकसभा पहुंचीं 7 सितंबर, 1977 को उन्होंने इस पार्थिव देह को त्याग दिया।

 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि करार दिया था. हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था, आधी हिंदू महासभा और आधी में आधी अर्थात् सीता रसोई निर्मीही अखाड़ा और एक चौथाई बची जमीन राम चबूतरा सुन्नी सेण्ट्रल बक्फ़ बोर्ड को दी गई । इलाहाबाद उच्च न्यायालय, जिसका फैसला 30 सितंबर 2010 को सुनाया गया था हाईकोर्ट की बेंच में जस्टिस एसयू खान, सुधीर अग्रवाल और डीवी शर्मा शामिल थे ।

3 जून 2023 को हाईकोर्ट के जज सुधीर अग्रवाल ने कहा की राम जन्मभूमि का फ़ैसला ना सुनने के लिए मुझपर दवाव था , यदि मैं फ़ैसला नहीं सुनाता तो 200 वर्षों में भी फ़ैसला नहीं होता ।

मैं पहले ही कहचुका हूँ की सुन्नी सेंट्रल बक्फ़ बोर्ड को जबरन सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा लड़वाया गया । जिसके लिये छद्म हिंदुवादी लोगो ने हासिम अंसारी को पैसे दिए और सुप्रीम कोर्ट भेजा ।

1853 में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर पहली बार विवाद हुआ।

30 अक्टबूर, 1990 ये वो तारीख है जब कारसेवकों पर गोली चली, जिसमे कई राम भक्त मारे गये ।

2 नवंबर 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलाई, हनुमान गढ़ी के पास मुझे भी गोली लगी हजारो राम भक्तो की हत्या करदी गई । किसी भी भाजपा , आर.एस.एस य वीएचपी नेता को खरोंच तक नहीं आई


राम भक्तों के हत्यारे उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को हिंदुओ के इन नर संहार का इनाम प्रधान मंत्री मोदी ने दिनांक 5 अप्रैल 2023 को पद्मबिभूषण दे कर किया ।

 

छह दिसंबर 1992 को सोलहवीं सदी में बनाई गई बाबरी मस्जिद को कारसेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया

CA 10866-10867/2010

18 अक्तूबर 2019 को (सुप्रीम कोर्ट का फैसल आने से सिर्फ 21 दिन पहले हत्या होना आश्चर्य की बात है ) अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष जो की न्यायालम में राम जन्म भूमि के मुक़दमे में हिंदू महासभा के पैरोकार थे उनकी हिंदू महासभा कार्यालय लखनऊ में हत्या कर दी गई हत्या का कारण उन्हें मिली 18 गार्डों की सुरक्षा अचानक हटाली गई ।

9,  नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ जमीन हिंदू पक्ष को देने का फैसला सुनाया, साथ ही इसका मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास रहेगा

साथ ही 5 एकड़ जमीन जन्मभूमि पर अतिक्रम और आक्रमण कर्ताओं को देने का आदेश हुआ । 

1, जस्टिस रंजन गोगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया 2. जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े 3. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ 4. जस्टिस अशोक भूषण 5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर

अयोध्या से मात्र 25 किलो मीटर, धन्नीपुर गाँव में ( लखनऊ-अयोध्या मार्ग ) भारत का मक्का बनाया जा रहा है । यह दुनिया की सब से बड़ी और सुंदर मस्जिद होगी जिसने 21 फुट ऊँची और 36 फुट लंबी-चौड़ी क़ुरआन रखी जाएगी । पूरी दुनिया का मुसलमान इस मस्जिद में आएगा (इस भूमि पर पैग़म्बर, बाबर या अकबर पैदा नहीं हुए यहाँ इतनी बड़ी मस्जिद सिर्फ़ इस लिए बनाई जा रही है क्यों की अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, ऐसे में हिंदू मुस्लिम दंगों की संभावना सदैव बनी रहेगी)


चरो वेदों और 18  पूरणों का भी निरादर किया गया है ।

प्रथम निमंत्रण प्रभु की और दूसरा निमंत्रण रामानन्दाचार्य, रामानुजाचार्य, शंकराचार्य, जगदगुरु, आचर्या महामण्डलेश्वर और महामण्डकेश्वरों सहित समस्त संप्रदायों-अखाड़ो को जाना चाहिए था । आज इन सभी पूजित सनातन के कर्णधारों की हैसियत दर्शक दीर्घा में ताली बजाने की राह गई है । 

चरो वेदों और 18  पूरणों का भी निरादर किया गया है । मात्र 11 मिनट में चार वेद - ऋगवेद की 10588 ऋचायें, यजुर्वेद की 1976 ऋचायें, सामवेद की 1875 ऋचायें, अथर्ववेद की 5977 ऋचायें अर्थात् चरो वेदों की कुल 20416 ऋचाये ।

साथ ही 18 पूरणों की कुल 380600 ऋचायो सहित कुल चार वेद और 18 पूरणों की समलित 401016 ऋचाओ का उच्चारण करने के लिए 36 हजार वेदाचारो विद्वानों को तैयार किया गया था एक विद्वान मात्र 11 मिनट में सिर्फ़ 11 ऋचाओ- इस्लोको का उच्चारण करता तो यह दुनिया का सब से लोक प्रिय रिकॉर्ड बनता और राम जी की प्राण प्रतिष्ठा का अद्वतीय उपहार होता इस से सम्पूर्ण विश्व राम मय धर्म और सनातन मय हो जाता । साथ ही सम्पूर्ण विश्व के सनातनियों का आव्हान कर मात्र एक मिनट में 11 बार जय श्री राम के जय घोष की अपील की जाती तो 1375 करोड़ बार जय श्री राम के नारे से सम्पूर धरा पवित्र हो जाती । इस संबंध में हमने 6 जून और 29 जून 2023 को प्रधान मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर इस आयोजन को करने की अनुमति मगी थी, जिसका खर्च भी हम स्वयं उठाने बाले थे परंतु अनुमति नहीं मिली 

आधे अधूरे मंदिर में तानाशाही और सत्ता के दम पर सनातनी विधि की मर्याद तार तार हो रही है, सनातनी संत और परंपरा का निरादर फर्जी संतों और चोर लुटेरों से मंदिर पूरी तरह घिर चुका है, 

हम अपने धर्म और परंपरा को बचाने इतने अशक्त क्यों है…?

चिंतन करे…?

यह जीवन दोवारा नहीं मिलेगा

समर शेष है नही पाप का भागी केवल व्याध 

जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध ।

जो धर्म के साथ नहीं समझो वह धर्म के खिलाफ खड़ा है ।



आपका
देवेन्द्र पाण्डेय