शुक्रवार, 19 जनवरी 2024

        

खुली पाती जानता के नाम-जनार्दन के नाम

साधू, संत, महंत, समस्त अखाड़ा, समस्त संप्रदाय, बैरागी, गृहस्त, सनातनी, स्वाभिमानी, देशभक्त और जिन्दा हिंदुओ के नाम । निश्चल चिंतन हेतु । 

मुनि न होही यह निश्चर घोरा, सत्य वचन मनाहु कपि मोरा

 मेरे रामलला कहा है.....?

 यह जन्म भूमि भगवान श्री रामलला की है

रामलला के नाम पर मुकदमा लड़ा गया आज मंदिर के गर्भगृह में रामलला क्यों नहीं है, ना ध्वज स्थापना, ना कलस गुंबद (शिखर स्थापना) ना ही मर्याद पुरुषोत्तम श्री राम जी के विधि अनुरूप प्राण प्रतिष्ठा आखिर सनातन के समाप्त करने का षड्यंत्र तानाशाह शाशक द्वारा हो रहा है और स्वयं को सनातनी, हिंदू होने पर गर्व का नारा लगाने बाला समाज आज भयभीत-लकवा ग्रस्त क्यों है...?

(रामेश्वरम जी में शिव जी की प्राण प्रतिष्ठा के समय रावण पुरोहित और श्री राम जी यजमान थे, माता सीता का अपहरण रावण ने किया था तब भी प्राण प्रतिष्ठा की मर्याद रक्षा के लिए लंका से माँ सीता को बुलाया गया - जब की यह प्रण प्रतिष्ठा रावण के वध और लंका विजय के लिए थी, रावण ने प्राण प्रतिष्ठ पूर्ण कराई, विजय होने का आशीर्वाद दिया- प्राण प्रतिष्ठा की मर्याद प्रभु श्रीराम जी के संदर्भ में यह है । दोवारा जब अश्मेघ यज्ञ होरहा था तब माँ सीता राम जी के पास नहीं थी उनका त्याग हो चुका था लेकिन यज्ञ की मर्याद रक्षा और परंपरा के विधि पूर्ण निर्वाह वेदों के सम्मान के लिए सीता जी की प्रतिमा राम जी के साथ विराजित की गई तब यह अनुष्ठान पूर्ण हुआ ) मोदी जी जो की राम जन्मभूमि में प्रभु श्रीराम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा हेतु मुख्य यजमान है उनकी पत्नी यशोदा वेन गुजरात में है उनका निरादर भर नही देश के प्रधान मंत्री जी वेदों के विधान का भी अपमान कर रहे है । विधि विपरीत प्राण प्रतिष्ठा की जिद सिर्फ़ चुनाव जीतने के लिए है, भले सनातन की मर्याद तार तार क्यों ना होजाए ….?     मौन समाधान नही है, धर्म रक्षा का नाद हर गली गली में होना चाहिए ।

स्वप्रकट्य रामलला को गर्भगृह में विराजित होना ही चाहिए ।

मुझे सब प्रतिमाएँ जो प्रभु श्री राम जी की है वह स्वीकार है

परंतु स्वप्राकट्य श्री रामलाल जी के साथ, उनके विना नहीं ।

 

निर्दोष पत्नी का अकारण त्याग करने बाले । अपनी माँ की मृत्यु पर भी बाल ना करने बाले ।

गौहत्या अर्थात् गौ मांस निर्यात को बढ़ावा पशु काटने के कारखानो को आधुनिक करने बाले ।

विकास के नाम पर हजारो मन्दिरो को ध्वस्त करने बाले ।

अत्यधिक झूठ बोलना और हर घड़ी अहंकार में रहने बाले ।

संतों और हिंदुत्व वादी नेताओ की हत्या पर मौन रहने बाले ।

संतों का अपमान और सनातन की परंपरा का तिरस्कार करने बाले ।

महामनव मोदी ने संतों का संप्रदायों और अखाड़ो के नाम पर तिरस्कार, संतों में भेद पैदा किया गया ।हिंदुओ में नफरत भर उन्हें आपस में लड़ाकर देश को गृह युद्ध की डेउढ़ी पर खड़ा कर दिया ऐसे व्यक्ति के हाँथो जन्म भूमि पर पूजन पुण्य दायक नहीं बल्कि अनिष्ट कारक होगा । विहार के पटना में रामरथ जो अयोध्या के लिए निकला था जल कर राख हो गया यह अनिष्ट का हो तो संकेत है …?

मंदिर के कारिडोर में लोहे का फ़्रेम और उसपर प्लास्टिक के खंभे,जब की यह प्रचारित किया गया की मंदिर में कही भी लोहे और प्लास्टिक का उपयोग नहीं किया गया, प्लास्टिक के खंभों की आयु अधिकतम 2-4 वर्ष की ही होगी फिर भी इनका उपयोग करोड़ोर में भरपूर हो रहा है । बिना शिखर के अधूरा बना मंदिर, जहां संतों को नही नाचने गाने बालों का स्थान निर्धारित हो

वह वैदिक और सनातनी प्रम्परा की प्राण प्रतिष्ठा नही राजनैतिक नौटंकी है ।

सनातन भारत में शंकराचार्य जी की हैसियत है ।

शंकराचार्य जिन्होंने राम जन्मभूमि के विबाद को समाप्त करने की मध्यस्तता भाजपा की तरफ़ से की तमिलनाडु के कांचीपीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती जी का निधन हुआ 

द्वारका शारदापीठ व ज्योर्तिमठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने रामजन्म भूमि पुनरुद्धार समिति गठित की और आंदोलन खड़ा किया। इसमें गिरफ्तार हुए और चुनार किले में बनाई गई अस्थायी जेल में नौ दिनों तक निवास किया। काशी के साथ ही अयोध्या, चित्रकूट, झोतेश्वर और फतेहपुर में संत सम्मेलन किए। इसके लिए उन्होंने चारों शंकराचार्यों समेत संतों को लेकर श्रीराम जन्मभूमि रामालय न्यास का गठन किया। साथ ही 30 नवंबर 2006 को अयोध्या में लाखों अनुयायियों के साथ श्रीराम जन्म भूमि की परिक्रमा की। ऐसे शंकराचार्यों के परलोक गमन पर ना राजकीय शोक ना अवकाश ना ही श्रद्धांजलि ऐसा सम्मान है मोदी जी की नजरो में हमारे देव तुल्य संतों का ।

23 सितम्बर 2015  को ज्योतिष मठ के शंकराचार्य अभिमुक्तेश्वरानंद सरस्वती को वाराणसी में सैकडो संतों सहित  सड़को में घसीट-घसीट और दौड़ाकर लठियो से पीटा गया मोदी जी ने इस घटना की निंदा तक नहीं की ।

वासुदेवनंद जी जिन्होंने सदैव स्वयं को शंकरचार्या घोषित करने के लिए शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती जी के ख़िलाफ़ लड़ाई लड़ी वह मोदी योगी के करीबी और राम मंदिर न्यास के सदस्य बने । अखाड़ा परिषद के पूर्व अध्यक्ष हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास ने राम जन्मभूमि में बाबरी बिध्वंस का विरोध करते हुए कहा था हमे भाजपा की सरकार नहीं चाहिए खून में सना हुआ राम मंदिर नहीं चाहिए ।

7 अगस्त 2016 को लखनऊ में महंत ज्ञानदास ने कहा की हमे अखिलेश यादव की सरकार चाहिए] इनके शिष्य राजू दास आज मोदी योगी के बड़े चहेते बने हुए है ।

पुरी पीठाशीश्वर शंकरचार्या निश्चलानंद जी के ख़िलाफ़ षड्यंत्र रचागया नए फर्जी शंकराचार्य को पूरी पीठ के फ़र्ज़ शंकरचार्या के रूप में हनुमान गढ़ी के महंत ज्ञानदास के शिष्य का वैष्णव तिलक मिटाकर उन्हें वैरागी परंपरा का चंदन लगादिया गया और अधोखजानंद को पुरी का शंकराचार्य घोषित किया गया 

गुरु राम भद्राचार्य झूठे है जिन्होंने अपने गवाही की बाँह बही स्वयं की जब की उनको न्यायालय हाईकोर्ट के जज सुधीर अग्रवाल ने फटकार लगाते हुए कहा की कहानी और कविता नहीं प्रमाण और तथ्य की बात करे ।  सतना सांसद गणेश सिंह जो विधान सभा सतना से विधायकी की चुनाव हार गये ।, रामखेलवन मध्य प्रदेश के मंत्री अमरपाटन विधान सभा से चुनाव हार गये, नारायण त्रिपाठी मैहर से चुनाव हार गये, जीत का जिसे भी आशीर्वाद दिया वो हार गया रामानन्दाचार्य के वरदानों की ऐसी दुर्गति देखने को मिली है ।

चार पीठों की जगह सैकडो फर्जी शंकराचार्य जगदगुरु और महामण्डकेश्वरों को पैदा किया गया ताकि सनातन की पुरातन परिपाटी को नष्ट-भ्रष्ट और समाप्त किया जा सके

 

राम जन्मभूमि की प्राचीन प्रामाणिकता, आंदोलन प्राण प्रतिष्ठा और मोदी की भूमिका

बाल्मीकि रामायण के चौपाई का विश्लेषण करपात्री जी महाराज ने रामायण मीमांसा में करते हुए बताया कि प्रभु श्री राम का जन्म 1 करोड़ 81 लाख 60 हजार 65 वर्ष पहले अयोध्या की धरती जो जन्म भूमि है वहाँ हुआ था  ( करपात्री जी का निधन 1982 में हुआ, अर्थात् 1982 से कम से 30 वर्ष पहले की रचना माने तो रामायण मीमांसा के अनुसार आज से लगभग 1 करोड़ 81 लाख 60 हजार 65 + 70 = 135 वर्ष पहले प्रभु श्री राम जी का जन्म अयोध्या में हुआ था )


जिन्होंने राम जन्मभूमि के मुक्ति हेतु आंदोलन किए, न्यायालय में मुक़दमा लड़ा उन्हें प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2024 पर अयोध्या में आमंत्रण नहीं है । परंतु जन्म भूमि सुन्नी सेंट्रल बोर्ड की तरफ से पैरोकार हासिम अंसारी के लड़के  इक़बाल अंसारी को निमंत्रण

पौष शुक्ल तृतीया 22-23 दिसंबर की रात्रि 12 बजे 1949 रामलला जी का प्राकट्यमंदिर के गर्भगृह में हुआ, (जब राम जन्म भूमि में मंदिर के गर्भ गृह में रामलला जी का प्राकट्य हुआ उस समय अयोध्या की पवन पवित्र धारा पर अखिल भारत हिंदू महासभा के सनातनी सपूत मा. महंत दिग्विजय नाथ जी-राष्ट्रीय अध्यक्ष , महंत अभिराम दास जी-अयोध्या महामंत्री, पुरणमाल जैन- जिला कार्यकारणी सदस्य, शेषनारायण त्रिपाठी जी-  सदस्य कानपुर कार्यकारणी, गोपाल विशारद जी-जिला अध्यक्ष फैजाबाद, महेंद्र शर्मा (माना) जी- प्रयाग हिंदू महासभा कार्यकारणी सदस्य, भगवान शरण अवस्थी जी- एड.ज़िला कार्यकारणी सदस्य शाहजंहापुर, अंजनी प्रसाद मिश्र जी- कार्यकारणी सदस्य वाराणसी हिंदू महासभा, बृजनारायण ब्रजेश जी- जो की हिंदू महासभा में राष्ट्रीय अध्यक्ष भी रहे है और हिंदू महासभा से सांसद भी हुए ।इंद्रसेन शर्मा जी- हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रहे है । राम लला जी के प्राकट्य के साक्षी समस्त हिंदू महासभा सपूतों को नमन प्रणाम)-ठीक वैसे ही जैसे मध्य प्रदेश धार की भोजसाला के गर्भगृह में अधिष्ठात्री देवी माँ वांगदेवी का प्राकट्य 9-10 सितम्बर 2023 को हुआ , माँ वांगदेवी जी के प्राकट्य पर धार पुलिस ने अखिल भारत हिंदू महासभ के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय, मध्य प्रदेश उपाध्यक्ष शिव कुमार भार्गव, प्रदेश संगठन मंत्री रोहित दुवे, धार जिला अध्यक्ष मनोज सिंह, संगठन के सदस्य माखन वैरागी, रवि सिंह सहित कुल 8 हिंदू महासभ के लोगो को माँ वांगदेवी केप्राकट्य काआरोपी बनाया है ।

'केरल के अलेप्पी के रहने वाले के.के नायर 1930 बैच के IAS अफसर थे उस वक्त के प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद बल्लभ पंत से फौरन मूर्तियां हटवाने को कहा.परंतु नैयर जी ने प्राकट्य हुई प्रतिमा के गर्भ गृह से टस से मस नहीं किया । उन्होंने अखिल भारत हिंदू महासभा और संत समाज का पूरा पूरा साथ दिया क्योंकि वह दैवीय शक्तिओं को मानते थे ।

के.के. नैयर की पत्नी अखिल भारत हिंदू महासभ के सदस्य बनी '1957 बस्ती नगर विधान सभा से शकुन्तला नैयर चुनाव जीती, 1967 में बहराईच लोकसभा से के.के. नैयर और कैसरगंज से शकुन्तला नैयर लोकसभ तीन बार लोकसभा पहुंचीं 7 सितंबर, 1977 को उन्होंने इस पार्थिव देह को त्याग दिया।

 30 सितंबर, 2010 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अयोध्या के विवादित स्थल को राम जन्मभूमि करार दिया था. हाई कोर्ट ने 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा कर दिया गया था, आधी हिंदू महासभा और आधी में आधी अर्थात् सीता रसोई निर्मीही अखाड़ा और एक चौथाई बची जमीन राम चबूतरा सुन्नी सेण्ट्रल बक्फ़ बोर्ड को दी गई । इलाहाबाद उच्च न्यायालय, जिसका फैसला 30 सितंबर 2010 को सुनाया गया था हाईकोर्ट की बेंच में जस्टिस एसयू खान, सुधीर अग्रवाल और डीवी शर्मा शामिल थे ।

3 जून 2023 को हाईकोर्ट के जज सुधीर अग्रवाल ने कहा की राम जन्मभूमि का फ़ैसला ना सुनने के लिए मुझपर दवाव था , यदि मैं फ़ैसला नहीं सुनाता तो 200 वर्षों में भी फ़ैसला नहीं होता ।

मैं पहले ही कहचुका हूँ की सुन्नी सेंट्रल बक्फ़ बोर्ड को जबरन सुप्रीम कोर्ट में मुक़दमा लड़वाया गया । जिसके लिये छद्म हिंदुवादी लोगो ने हासिम अंसारी को पैसे दिए और सुप्रीम कोर्ट भेजा ।

1853 में हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच इस जमीन को लेकर पहली बार विवाद हुआ।

30 अक्टबूर, 1990 ये वो तारीख है जब कारसेवकों पर गोली चली, जिसमे कई राम भक्त मारे गये ।

2 नवंबर 1990 में अयोध्या में कारसेवकों पर गोलियां चलाई, हनुमान गढ़ी के पास मुझे भी गोली लगी हजारो राम भक्तो की हत्या करदी गई । किसी भी भाजपा , आर.एस.एस य वीएचपी नेता को खरोंच तक नहीं आई


राम भक्तों के हत्यारे उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव को हिंदुओ के इन नर संहार का इनाम प्रधान मंत्री मोदी ने दिनांक 5 अप्रैल 2023 को पद्मबिभूषण दे कर किया ।

 

छह दिसंबर 1992 को सोलहवीं सदी में बनाई गई बाबरी मस्जिद को कारसेवकों की एक भीड़ ने ढहा दिया

CA 10866-10867/2010

18 अक्तूबर 2019 को (सुप्रीम कोर्ट का फैसल आने से सिर्फ 21 दिन पहले हत्या होना आश्चर्य की बात है ) अखिल भारत हिंदू महासभा के कार्यकारी अध्यक्ष जो की न्यायालम में राम जन्म भूमि के मुक़दमे में हिंदू महासभा के पैरोकार थे उनकी हिंदू महासभा कार्यालय लखनऊ में हत्या कर दी गई हत्या का कारण उन्हें मिली 18 गार्डों की सुरक्षा अचानक हटाली गई ।

9,  नवंबर 2019: सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए राम जन्मभूमि की 2.77 एकड़ जमीन हिंदू पक्ष को देने का फैसला सुनाया, साथ ही इसका मालिकाना हक केंद्र सरकार के पास रहेगा

साथ ही 5 एकड़ जमीन जन्मभूमि पर अतिक्रम और आक्रमण कर्ताओं को देने का आदेश हुआ । 

1, जस्टिस रंजन गोगोई, चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया 2. जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े 3. जस्टिस धनंजय यशवंत चंद्रचूड़ 4. जस्टिस अशोक भूषण 5. जस्टिस अब्दुल नज़ीर

अयोध्या से मात्र 25 किलो मीटर, धन्नीपुर गाँव में ( लखनऊ-अयोध्या मार्ग ) भारत का मक्का बनाया जा रहा है । यह दुनिया की सब से बड़ी और सुंदर मस्जिद होगी जिसने 21 फुट ऊँची और 36 फुट लंबी-चौड़ी क़ुरआन रखी जाएगी । पूरी दुनिया का मुसलमान इस मस्जिद में आएगा (इस भूमि पर पैग़म्बर, बाबर या अकबर पैदा नहीं हुए यहाँ इतनी बड़ी मस्जिद सिर्फ़ इस लिए बनाई जा रही है क्यों की अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है, ऐसे में हिंदू मुस्लिम दंगों की संभावना सदैव बनी रहेगी)


चरो वेदों और 18  पूरणों का भी निरादर किया गया है ।

प्रथम निमंत्रण प्रभु की और दूसरा निमंत्रण रामानन्दाचार्य, रामानुजाचार्य, शंकराचार्य, जगदगुरु, आचर्या महामण्डलेश्वर और महामण्डकेश्वरों सहित समस्त संप्रदायों-अखाड़ो को जाना चाहिए था । आज इन सभी पूजित सनातन के कर्णधारों की हैसियत दर्शक दीर्घा में ताली बजाने की राह गई है । 

चरो वेदों और 18  पूरणों का भी निरादर किया गया है । मात्र 11 मिनट में चार वेद - ऋगवेद की 10588 ऋचायें, यजुर्वेद की 1976 ऋचायें, सामवेद की 1875 ऋचायें, अथर्ववेद की 5977 ऋचायें अर्थात् चरो वेदों की कुल 20416 ऋचाये ।

साथ ही 18 पूरणों की कुल 380600 ऋचायो सहित कुल चार वेद और 18 पूरणों की समलित 401016 ऋचाओ का उच्चारण करने के लिए 36 हजार वेदाचारो विद्वानों को तैयार किया गया था एक विद्वान मात्र 11 मिनट में सिर्फ़ 11 ऋचाओ- इस्लोको का उच्चारण करता तो यह दुनिया का सब से लोक प्रिय रिकॉर्ड बनता और राम जी की प्राण प्रतिष्ठा का अद्वतीय उपहार होता इस से सम्पूर्ण विश्व राम मय धर्म और सनातन मय हो जाता । साथ ही सम्पूर्ण विश्व के सनातनियों का आव्हान कर मात्र एक मिनट में 11 बार जय श्री राम के जय घोष की अपील की जाती तो 1375 करोड़ बार जय श्री राम के नारे से सम्पूर धरा पवित्र हो जाती । इस संबंध में हमने 6 जून और 29 जून 2023 को प्रधान मंत्री एवं मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखकर इस आयोजन को करने की अनुमति मगी थी, जिसका खर्च भी हम स्वयं उठाने बाले थे परंतु अनुमति नहीं मिली 

आधे अधूरे मंदिर में तानाशाही और सत्ता के दम पर सनातनी विधि की मर्याद तार तार हो रही है, सनातनी संत और परंपरा का निरादर फर्जी संतों और चोर लुटेरों से मंदिर पूरी तरह घिर चुका है, 

हम अपने धर्म और परंपरा को बचाने इतने अशक्त क्यों है…?

चिंतन करे…?

यह जीवन दोवारा नहीं मिलेगा

समर शेष है नही पाप का भागी केवल व्याध 

जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध ।

जो धर्म के साथ नहीं समझो वह धर्म के खिलाफ खड़ा है ।



आपका
देवेन्द्र पाण्डेय

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