सोमवार, 22 जनवरी 2024

अपने बनकर दुश्मन जब सीने में ख़ंजर मरेगे, वो मेरे अपने है तव मेरी हार सुनिश्चित है ।

सभी सनातनियों की श्रद्धा और बलिदान शामिल है, जन्म भूमि की मुक्ति में ।
रामलला की भूमि है किन्ही दलालों, दोगलों और चंदा चोरों के बाप की जागीर थोड़ी है ।

घटनाएँ अहंकार के बाशीभूत घटित हो जाती है 
लेकिन घटनाओं के परिणाम और उसके दर्द व समवेदनाएँ शादियों तक इतिहास में जीवित रहती है ।

आओ हम सब मिलक़त आज अपने ग़ुलामी और अस्तित्व के विनाश का उत्सव मनाये, अहंकारी शाशक भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र दामोदर भाई मोदी ने आज 22 जनवरी 2024 को अपने पैरो तले सनातन, संत, वेदों और पुरातन परंपराओं को रौद कर (अयोध्या में राम जन्मभूमि पर -बिना शिखर, बिना ध्वज-अधूरे बने निर्माणाधीन मंदिर में, विना पत्नी के राम की मूर्ति स्थापना के नाम पर ) अपने पद का शक्ति प्रदर्शन करते हुए राजनैतिक अहंकार की स्थापना की है,

वर्षों के संघर्ष के बाद जन्म भूमि का वैभव सुप्रीमकोर्ट के फैसले के बाद सनातनियों को मंदिर के रूप में प्राप्त हुआ । जिस भूमि को प्राप्त करने लाखों राम भक्त बलिदान हुए, वर्षों का इतिहास जब सनातन की गौरव गाथा गाने के लिए तत्पर था तब लोकसभा चुनाव जीतने के लोभ में अधूरे बने मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा करने की तानाशाही जिद ने संतों को अपमानित किया, संतों में भेद पैदा कर उन्हें आपस में लड़बाया, नकली संतों की स्थापना की, वैदिक विधान को तार तार करते हुए आखिर राम के नाम पर स्व स्थापना की गई । यदि प्रतीक्ष की जाती तो अधिक से अधिक 3-4 महीने में मंदिर पूर्ण वैभव के साथ अपनी सुंदरता को प्राप्त करता , फिर फर्जी गुम्बज बांस बल्ली का प्रदर्शन करने कपड़े लगाकर प्राण प्रतिष्ठा नाही करनी पड़ती वल्की वास्तविक वैदिक परंपरा और प्रशन्नता के अद्वतीय वातावरण में उत्सव का आनंद आत्मिक होता ।

22 जनवरी 2024 को 84 सेकंड का शुभ मुहूर्त दिन के 12 बजकर 29 मिनट और 08 सेकंड से 12 बजकर 30 मिनट और 32 सेकंड तक । यानि प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त केवल 84 सेकंड का है। 
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाँथो सम्पन्न हुई प्रभु श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा इस अवसर पर RSS प्रमुख मोहन भागवत(काली जैकेट में), उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ श्री राम जन्मभूमि मंदिर में उपस्थित रहे ।

अंततः प्रभु श्री राम जी की प्राण प्रतिष्ठा सम्पन्न हुई । प्रभु श्री राम जी पधारें, विराजे, सनातन धन्य हुआ ।

भए प्रकट कृपाला दिन दयाला कौशिल्य हित कारी

यह चौपाई सभी सनातनियों और सत्ता को भी स्मरण रहनी चाहिए ।
बिप्र धेनु सुर संत हित लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गो पार॥

बधाई बधाई बधाई 

परंतु कुछ प्रश्न जो राम जन्मभूमि की मर्यादा रक्षा से जुड़े और उठे है उनकी ताप कभी ख़त्म नहीं होगी । मंदिर का वैभव जब तक अमर रहेगा तब तक ये प्रश्न भी मंदिर की मर्यादा के साथ हुए अमर्यादित कृत्यों का स्मरण दिलाते रहेगे । मुझे प्रसन्नता है की जन्मभूमि अयोध्या में प्रभु श्री राम जी का मंदिर बनरहा है, यदि अपने पूर्ण वैभव में यह मंदिर निर्मित-तैयार हो गया होता, सभी सनातनी, संत भाव विभीर होकर झूमते, कीर्तन करते प्राण प्रतिष्ठा के आनंदित उत्सव में पधारते विना कहे घर घर घी के दीप प्रज्वलित होते, मिठाईया बँटी जाती और गली गली में जय श्री राम का जयकारा गुंजायमान होता (राजनीति के नफ़े नुक़्शान का सौदा नहीं धार्मिक उन्माद का उत्सव होता तो राम भक्ति में सराबोर सम्पूर्ण श्रृष्टि सनातन के वैभव से झूम उठती) तो वह पल शादियों तक भक्ति के आनंद में सनातनियों को गुद गुदाता रहता । परंतु आज की प्रशन्नता में जो टीस है वह तो जीवन पर्यंत रहेगी ही ।

अहंकार के बसीभूत भक्ति का प्रदर्शन करने बाले मंदिर को अपने षड्यंत्र की वेडियो में जकड़ने बालों से इन प्रश्नों का उत्तर मिलने की आपेक्षा रत्ती भर भी नहीं है परंतु प्रश्न तो अडिग होकर खड़े ही है ।

1949 में रामलाल किसकी आराधना से प्रकट हुए । क्या उनके नाम और उनके तप का स्मरण भी इन्होंने किया….?
राम जन्मभूमि में रामलला जी के दर्शन के अधिकार की प्रथम अपील न्यायालय में किसने की जिसके आधार पर पूजन,दर्शन और जन्मभूमि में प्रवेश का अधिकार सनातनियों-हिंदुओ को मिला था, क्या वह स्मरणीय नहीं…?
के.के. नैयर साहब अखिल भारत हिंदू महासभा की निश्चल भक्ति से इतने प्रभावित क्यों थे की उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभपंत के आदेश (गर्भ गृभ में स्वप्राकट्य मूर्ति हटाने ) को मानने से मना कर दिया, क्या यह वृतांत स्मरणीय नहीं…?
फैजाबाद-गोंडा न्यायालय का फ़ैसला कब और क्या हुआ क्या इस की चर्चा नहीं होनी चाहिए,भाजपा, आर.एस.एस. और वीएचपी को अपनी तात्कालिक भूमिका (मर्णासन्न स्थिति) का खुलासा नहीं करना चाहिए …?
हाईकोर्ट में किसने साक्ष दिये किसे फटकार मिली, पैरोकार कौन था, अपनी जबरन वाह वही कर मीडिया और देश में भ्रम फैलाने बाले झूठी गवाही बाले रामभद्राचार्य की चर्चा नहीं होनी चाहिए…?
जस्टिस सुधीर अग्रवाल के कथानानुशार फ़ैसला ना करने के लिए किसका दवाव था, क्या यह आरोप गंभीर नहीं, क्या इसकी जाँच नहीं होनी चाहिए, क्या यह सत्यता सामने नहीं आनी चाहिए की राम जन्मभूमि का फैसला रुकबाने का यत्न करने बाले कौन राक्षस थे, क्या यह गंभीर आरोप जाँच का विषय नहीं…?
हासिम अंसारी जब देवेन्द्र पाण्डेय से मुलाक़ात पर ज़मीन मंदिर निर्माण के लिए देने को तैयार थे फिर किसके कहने पर वह सुप्रीम कोर्ट गया उसे मुक़दमा लड़ने के लिए मनसिक और आर्थिक मदद किसने की क्या यह षड्यंत्र जानता के सामने नहीं आना चाहिए…?
राम मंदिर के चंदे में 1400 करोड़ की चोरी किसने की क्या यह घोटाला उजागर नहीं होना चाहिए…?
2 करोड़ की जमीन मात्र दो घंटे के भीतर 18 करोड़ में किस के आदेश और सहमति पर राम जन्मभूमि ट्रस्ट ने ख़रीदी क्या जानता की के आस्था के पैसे पर ज़मीन ख़रीदी घोटाले के आरोपी को दंड नहीं मिलना चाहिए…?
मुलायम सिंह यादव ने हिंदुओ पर शांति पूर्ण प्रदर्शन के बाद भी गोलिया क्यों चलाई, इस षड्यंत्र में भाजपा, आर.एस.एस और व्ही.एच.पी. के संदेहास्पद भूमिका की जाँच नहीं होनी चाहिए…?
निहत्थे हिंदुओ की हत्या कराने बाले मुलायम सिंह यादव को पद्म विभूषण क्यों किया गया, क्या यह निहत्थे राम भक्तों की हत्या का पुरुष्कार है…?
सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले से 20 दिन पहले हिंदू महासभा की तरफ से राम जन्मभूमि मुक़दमे के पैरोकार कमलेस तिवारी की हत्या क्यों हुई क्या यह आश्चर्यजनक और संदेही वा जाँच का विषय नहीं है…?
अशोक सिंहल जो की जन्मभूमि आंदोलन के मुखिया थे कोर्ट का फ़ैसला आने से पहले ही अचानक उनकी मौत कैसे हुई…?
प्रवीण तोगदीय जिन्होंने राम जन्मभूमि आंदोलन में जोश भरा वह कोर्ट के फ़ैसले से पहले अचानक विच्छिप्त हालत में सड़क किनारे नंगे कैसे मिले, उनकी ऐसी हालत कैसे और क्यों हुई …?
प्रखर हिंदुत्व को शक्ति देने बाली माया कोड़नी और बाबू बजरंगी की आज हालत क्या है…?
प्रधान मंत्री मोदी ने शास्त्र के विधान का अपमान किया पत्नी का तिरस्कार किया,यशोदा वेन का तिरस्कार क्यो…?
मंदिर के करीडोर में प्लास्टिक के खंभे क्यों लगाए गए, जब की मंदिर में कही भी लोहा और प्लास्टिक ना लगाने का दावा किया गया, क्या यह निर्माण दीर्घ कालीन है या सिर्फ़ मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा की जल्दी के कारण घटिया निर्माण किया जारहा है, क्या इसका जवाब कोई देगा…?
प्राण प्रतिष्ठा की जल्दी में अधूरे बने मंदिर के गुम्बज में बॉस,बल्ली और कपड़ा लगाकर मंदिर पूर्ण होने का दिखावा क्यों किया गया…?
मंदिर के अधूरे निर्माण के बाद भी प्राण प्रतिष्ठा क्यों, बिना पत्नी के (विबाहित मोदी जी है उनकी पत्नी यशोदा वेन) क्या यह धर्म की मर्यादा का चिरहरण नहीं …?
आदिगुरु शंकराचार्य द्वार स्थापित, गोवर्धनपीठ जिसके शंकराचार्य निश्चलानंद जी, श्रृंगेरी काँचीपीठ के शंकराचार्य वीजेंद्रनंद जी, द्वारिकापीठ के शंकराचार्य सदानंद जी और बद्रिका ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद का अपमान-तिरस्कार क्या सिर्फ़ इस लिए किया गया की उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा को विधि अनुरूप करने की बात कही, सभी सम्मानित अखाड़े क्या इस महूरत में सर्व सम्मत थे, उनकी अनदेखी और उपेक्षा का कारण क्या है ,संतों की प्राचीन प्राचीन परंपरा के अपमान का षड्यंत्र और फ़र्ज़ संतों का जन्मभूमि में जमाबडा क्यों यह स्पष्ट होना ही चाहिए …?
शंकराचार्य, रामानुजाचार्य, रामानन्दाचार्य, वल्लभाचार्य, निंबर्काचार्या, मध्यवाचार्य जो की वैष्णव संप्रदाय-सनातन परंपरा के शीर्ष शिखर पद पर विराजमान संत इनके अलबा 13 अखाडो के प्रमुख और आचार्य महामण्डलेश्वर, महामण्डलेश्वर इनसे इस सनातनी इतिहास रचना के संबंध में सम्मानित संबाद होना चाहिए था जो नहीं हुआ, कारण स्पष्ट होना चाहिए…?
राम जन्मभूमि मुक्ति आंदोलन के बलिदानियों का तिरस्कार क्यों, ना आमंत्रण ना उनकी पूछ परख, जिनका सम्मान होना चाहिए था वह तिरस्कृत क्यों हुए …?
मंदिर के पुजारी की हत्या और दरवाज़ा चोरी की आशंका मंदिर ट्रस्ट के महामंत्री चंपतराय द्वारा क्या सिद्ध करती है की अयोध्या चोरों और हत्यारों की नगरी है …?
मंदिर के पैरोकार,अन्दोकानकारियो का तिरस्कार और मंदिर के विरोधियों का सम्मान क्यों …?
प्राण प्रतिष्ठा में स्वप्राकट्य राम लला की प्रतिमा लापता क्यों, जिन रामलला जी का स्वप्राकट्य हुआ, जिनके नाम पर न्यायालय में मुक़दमा लड़ागया, जिनके नाम पर आंदोलन हुआ, जिनके नाम पर न्यायालय का फ़ैसला हुआ , जिस मूर्ति की गर्भ गृह में स्थापना होनी चाहिए थी वह मूर्ति लापता क्यों की गई…?
राम जन्मभूमि 2:77 एकड़ के बदले में मुसलमानों को 5 एकड़ भूमि अयोध्या से मात्र 25 किलो मीटर की दूरी पर मस्जिद बनाने के लिए सरकार द्वारा दी गई । धन्नीपुर जो की लखनऊ अयोध्या के मुख्य मार्ग पर स्थित है इसी दिशा में एयरपोर्ट भी है , वहाँ विश्व की सब से बड़ी और सुंदर मस्जिद का संगमरमर से निर्माण होना है । यहाँ ना तो पैग़म्बर पैदा हुए, ना बाबर नाही अकवर पैदा हुआ फिर इस भूमि पर विशाल मस्जिद सिर्फ़ इस लिए बनाई जा रही है क्यों की यहाँ पास में राम जन्मभूमि है जहां भव्य-दिव्य मंदिर प्रभु श्री राम को समर्पित है । इस मस्जिद में 21 फुट ऊँची 36 फुट लंबी चौड़ी क़ुरान रखी जाएगी जो सम्पूर्ण दुनिया के मुसलमानों के लिए आकर्षण का केंद्र होगी , भविष्य में यहाँ भारत का मक्का मदीना बनाने की तैयारी है । अर्थात् यहाँ रेलवे स्टेशन, एयरपोर्ट और सड़क मार्ग से हजारो मुसलमान पहुँचेगे । भविष्य में फिर मंदिर-मस्जिद, हिंदू - मुस्लिम का संघर्ष होगा (हजारो वर्षों के संघर्ष के बाद जन्मभूमि हिंदुओ को मिली है फिर कुछ वर्षों में यह विवाद जोर पकड़ने लगेगा, जैसा की अभी भी दावा किया जाता है की राम जन्मभूमि के पास ही मस्जिद की भूमि सुरक्षिता है जिसके लिये फिर संघर्ष की चर्चा मुसलमानो और अन्य राजनैतिक दलों द्वारा कही न कही सुनाई देती है ) । मस्जिद हेतु भूमि अयोध्या से दूर मुख्य मार्ग से दूर क्यों नही दी गई, दूरगामी परिणामों की अनदेखी क्यों की गई, क्या यह चिंता का विषय नहीं है….?

हम सनातनियों के जीवन में सतत संघर्ष है, पहले जन्मभूमि के मुक्ति के लिए लठिया, गोलीय खाई , फिर मंदिर के  मर्यादा रक्षा,सनातन के विधान, वेदों की मान्यता और संतों के सम्मान के लिए संघर्ष किया, अब मंदिर की मुक्ति के लिए संघर्ष करना होगा…?

(राम जन्मभूमि-अयोध्या, कृष्ण जन्मभूमि-मथुरा, काशी विश्वनाथ के प्राचीन मंदिर, ज्ञानवापी-वाराणसी, लक्ष्मण क़िला-लखनऊ, भोजसाला-धार के लिए अखिल भारत हिंदू महासभा का संघर्ष किसी से छुपा नहीं है , तेजोमहालय-आगरा, विष्णु ध्वज- दिल्ली के लिए हमारे आंदोलनों की उग्रता सर्व विदित है ) धर्म रक्षा के लिए जन्म हुआ है अंतिम सांस तक लड़ते रहेगे ।

हम सत्ता के पथगमी नही, हम स्वाभिमानी, धर्मरक्षक, देशभक्त, जिन्दा हिंदू है । यही कारण है कि देश, धर्म, मर्यादा को मर्याद तार तार होते हुए नही देख सकते । शेष जानता क्या सोचती है वह जाने । इस देश में सभी को चिंतन का अधिकार है और यह मेरा आत्म चिंतन है ।
ईश्वर प्रभु श्री राम जी की पवित्र जन्मभूमि पर नव निर्मित हुए मंदिर के गर्भ गृह में रामलला अनंत काल तक विराजित रहे और समस्त सनातनियो को शक्ति प्रदान करे की वह अपने धर्म की मर्यादा रक्षा करने में सबल हो,
हमारा भारत अजेय हिंदू राष्ट्र बने और हिंदू धर्म के पालकों और मानने बालों का कल्याण करे ।
इति शुभम्
जयतु जयतु जय जय राम 
जयतु जयतु जय हिन्दू राष्ट्रम्

                                                                            आपका
देवेन्द्र पाण्डेय

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