शुक्रवार, 7 सितंबर 2012

                     "हिन्दू  बिलुप्तता की ओर  अग्रसर "
                      ------------------------------------------
भारत आने बाले दिनों में जातीय कुनवो का टापू बन जयेगा जिस की सीमाये जातीय बहुलता और  बाहु बल से निर्धारित होगी ,
यह कोई भविष्य वाणी नहीं ये इतिहास  की गवाही का वह निर्णय है जिस  के समर्थक जातिवादी  नेताओ के स्वार्थपूर्ण रवैये है ,भरत भूमि हमेशा से लुटती -बटती रह गयी और हमारे धार्मिक ,सामाजिक,
राजनैतिक  मठाधीश हमेशा से ही देश को गुमराह कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते रहे है , आज मै  इस विचार के माध्यम से देश के सम्पूर्ण  
धार्मिक ,सामाजिक,राजनैतिक एवं मिडिया को खुले मंच पर 
आमन्त्रित कर जानना और बताना चाहता  हु की हिन्दू सहित देश  की  दुर्दशा का इतिहाश  क्या कहता है वर्त्तमान क्या है और भविष्य 
क्या होगा ,परन्तु स्वार्थ परता ने इन्हे ऐसी बातो को नजर अंदाज  करने की भारी शक्ति दी है ,और इनकी यही मूक शक्ति  हमारे
                                 विनाश का मूल कारन है !



                       



भारत ने ज्ञान दिया और उसी ज्ञान से विज्ञान  का विस्तार हुआ ये बातसर्व मान्य सनातन ,पुरातन , है  हमारे देश  की  संस्कृति से दुनिया ने ज्ञान सीखा और हमारे देश ने पूरी दुनिया से नग्नता,छल,
मक्कारी,सीखी  जो विचारनीय है !कुछ जज्बाती मुट्ठी भर लोग 
जिनका जमीर अभी मारा नहीं है ,उनको चिंतन करना होगा 
देश को जगाना होगा ! हिन्दू  है तो हिन्दुस्तान है बरना ये भी एक पकिस्तान है ? यदि भारत का पाकिस्तान से    युद्ध हुआ तो भारत को 
सीमा और सीमा के भीतर भी पकिस्तान से लड़ना होगा जो साफ़ साफ़ सरे संसार को नजर आता है !सिर्फ अंधे नेताओ को छोड़ कर ...?


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें