रविवार, 10 नवंबर 2013

देश के भीतर न लोगो कि सोच पिछड़ी है न ही देश हित कि भावनाए पिछड़ी है पिछड़ा पन तो नेताओ कि राजनैतिक सोच का परिणाम है जिस कारण समाज में एक बड़ा भेद खड़ा करदिया गया है अब सभी पार्टिया उसी जाती का उमीदबार चुनावी मैदान में उतारती है जिस जाती के लोगो की संख्या उस छेत्र में ज्यादा होती है आखिर ऐसा क्यू क्या ऐसे निर्णय से समाज बाद बढ़ेगा या देश समाज कमजोर होगा जब हिन्दू महासभा हिन्दू बाद कि बात करती है तो देश भर के नेताओ कि तवियत खराब हो जाती है कि हिन्दू महासभा सैकुलर नहीं है और ये अपने आचरण नहीं देखते जो हिन्दुओ को गोत्रो में बताने का घिनौना काम करते है हिन्दू जागो रे जागो

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