रविवार, 7 मई 2023

मोहनदास करमचंद गांधी

 बनाम राष्ट्रपिता


   गांधी को काँग्रेसी कभी पसंद नहीं करते थे ।
     गांधी कॉंग्रेस के लिये स्वयं समस्या थे ।
      अब इस समस्या पर भाजपा का कब्जा है ।


मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें भारत का बाप

अर्थात् राष्ट्रपिता कहा जाता है..............?


 राष्ट्रपिता ना कोई पद है ना संबैधानिक पदवी है, यह एक सुन्दर सा राजनैतिक लॉलीपॉप है जिसे चूसकर स्वयंको आनंदित किया जा सकता है परंतु किसी और को इस आनंद के अनुभूति का अहसास नहीं कराया जा सकता है । कॉंग्रेस लाबारिस नहीं है इनके पास भी राजनैतिक बाप है और बह सिर्फ़ इनका भर नहीं संपूर्ण भारत का बाप है ऐसा भ्रम जिस से सभी भ्रमित हुए ऐसे विशाल और मज़बूत भ्रम को ही राष्ट्रपिता मोहनदास करमचंद गांधी कहते है ।


अच्छा मजाक है जहाँ करोड़ों देशभक्तों ने अपने प्राणो की आहुति देकर देश को स्वतंत्र कराया
 वहाँ देदी आज़ादी हमे बिना खड़ग बिना ढाल साबरमती के संत तुने करदिया कमाल….?

30 जनवरी, 1948 को अग्रणी और हिंदूराष्ट्र नामक अखबारो के संपादक विद्वान् चिंतक वीर विनायक नाथूराम गोडसे जी ने मोहनदास करमचंद गांधी का वध ( हा सही सुना आपने, हत्या नहीं वध ) कर दिया था। गांधी का वध होते हीं गांधी राष्ट्रपिता बन गये, अजीब गन थी गोडसे जी की ( गाँधी वध में Beretta M 1934, 9MM पिस्तौल पिस्टल का मॉडल न . (i) EX. 39 था जिसका का भारत में रजिस्ट्रेशन नंबर 606824 था, का उपयोग किया गया था ) जिसकी गोली से राष्ट्रपिता का जन्म हुआ । गांधी वध के जुर्म में नाथूराम को 8 नवंबर 1949 को न्यायालय शिमला कोर्ट द्वारा सजा सुनाई गई । गांधी के हत्या ( गाँधी वध ) में शामिल नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे को 15 नवंबर 1949 में फांसी हो गई थी. उन्हें अंबाला सेंट्रल जेल में सुबह फंदे पर लटका दिया गया. ( फाँसी के फन्दे पर झूलने से पहले भगवा ध्वज, भगवत गीता और अखण्ड भारत के मानचित्र को अपने मस्तक पर लगाकर सर में रखे अखण्ड भारत और जयतु जयतु जय हिंदूराष्ट्र का नारा लगाते हुए फाँसी के फन्दे तक दोनों बलिदानी वीर सपूतों की तरह बढ़ते गये जहाँ माँ भारती भारत की अखण्डता के लिये बलिदान हुए सपूतों को अपने आँचल में छुपाने अपना स्नेह आलिंगन प्रदान करने खड़ी थी ।

वीर सपूतों का अंतिम स्वर….जयतु जयतु जय हिंदू राष्ट्र …… 

आज भी देशभक्तों की प्रेरणा का आधार है 


न्यायालय में गोडसे जी ने कही यह बात ।

32 वर्षों से इकट्ठा हो रही उकसाबे बाजी का परिणाम भारत विभाजन और फिर गाँधी द्वारा एक और आख़री अनशन की ज़िद के करण ही हमे यह निर्णय लेना पड़ा की गाँधी का वध किया जाये और उसके ज़िद्दी अस्तित्व को तत्काल समाप्त किया जाये । क्यों की भारत विभाजन गाँधी की ज़िद पर हुआ, लाखों हिंदुओ का क़त्ल गाँधी की अहिंसा बादी नीति के करण हुआ, भारत द्वारा पाकिस्तान को आर्थिक मदद गाँधी की ज़िद के कारण देनी पड़ी और फिर अनशन की ज़िद जिस करण भारत का पुनः एक और बिभाजन होना सुनिश्चित था इस लिये देश और हिंदू हित के लिये ख़तरा बनचुके गाँधी का अंत अत्यंत ज़रूरी था, इस लिये मैंने गाँधी का वध किया । मैं गाँधी के ज़िद्दी अत्याचारों से देश को बचाना चाहता था, हिंदुओ और हिन्दुत्व की रक्षा मेरा प्रथम कर्तव्य था जिसका निर्वहन मैंने पूरी ईमानदारी से किया ।

गाँधी के बेटे देवदास से मुलाकात

गाँधी की मौत के बाद उनके बेटे देवदास नाथूराम जी से मिलने जेल गये । गोडसे जी ने देवदास गाँधी से कहा कि मैंने जो किया उस पर मुझे कोई पश्चाताप नहीं है, ना ही मैं किसी दया या क्षमा का अकाँछी हूँ । मुझे इस बात का दुःख है की तुमने अपना पिता खोया है, मेरे करण तुम्हें दुःख हुआ । तुम्हारे परिवार को जी पीड़ा हुई उसे मैं समझ सकता हूँ । मेरा विश्वाश करो मैंने गाँधी का वध किसी व्यक्तिगत रंजिश या किसी के उजसाने पर नहीं की है । मेरे मन में तुम्हारे पिता के लिये ना तो कोई द्वैष था ना ही कोई ख़राब भाव ही था । यदि मेरे मन में कुछ था तो सिर्फ़ और सिर्फ़ भारत के भविष्य का चिंतन और हिंदुओ की सुरक्षा व हिन्दुत्व के सम्मान का विचार ।

गोडसे जी और आप्टे जी को सजा सुनाने बाले जज जी. डी. खोसला ने सजा सुनाते समय और सजा सुनाने के बाद भी एक किताब में लिखा (The Murder Of Mahatma) जिसमे उन्होंने स्पष्ट लिखा है की यदि गाँधी वध (हत्या) केस की सुनबाई का अधिकार जूरी को होता तो गोडसे जी नायक होते और न्यायालय से निर्दोष बरी किए जाते ।

मोहनदास करमचंद गाँधी के बेटे मणिलाल गाँधी और रामदास गाँधी ने गोडसे जी से बिना पूछे उनकी हमदर्दी प्राप्त करने (देश की जनता के सामने उदारता का प्रदर्शन करने) या बापू से छुटकारा मिलने के कारण…..?
गोडसे जी की सजा को सहज करने का आवेदन लेकर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, उपप्रधान मंत्री व गृह मंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल एव गवर्नल जनरल चक्रवर्ती राजगोपालाचारी के पास गये जिसे इन सभी ने अमान्य कर दिया । गोडसे जी ने ना कोई अपील की ना ही सजा कम करने का अनुरोध ना ही किसी प्रकार की दया याचिका ही लगाई । उन्होंने तो लिखित अपना वयान न्यायालय में दाखिल किया और गाँधी वध को राष्ट्र हित में स्वीकार किया ।

शिमला की अदालत में गोडसे और आप्टे पर ट्रायल चला जहाँ 8 नवम्बर 1949 को इन्हें फाँसी की सजा सुनाई गई और 15 नवम्बर 1949 को अंबाला जेल में फाँसी दी गई ।

गाँधी वध के बाद सरकार ने मदनलाल पहवा, शंकर किस्तैया, विष्णु करकरे, गोपाल गोडसे (नाथूराम गोडसे जी के भाई) दत्तारिह परचुरे को भी दोषी बनाया था और सभी को उम्र क़ैद की सजा सुनाई गई । लेकिन बाद में शंकर किस्तैया और दत्तारिह परचुरे को हत्या के आरोप से बरी करदिया गया था ।

सरकार ने तो स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर जी को भी गाँधी वध का षड्यंत्र करता दोषी बनाया था परंतु सबूतों के अभाव और आरोपियो के तर्क के कारण सावरकर जी इस मुक़दमे में नहीं फसाये जा सके जिस कारण षड्यंत्र कारियो की मंसा पर पानी फ़िरगया और हिन्दुत्व की अखंड ज्वाला सावरकर जी के कुशल नेतृत्व में निरन्तर प्रज्वलित रही ।


शदियों में जना करता है सपूत कोई 
जिसके आलिंगन से मातृ भूमि रोई 
कर्त्तव्य पथ का पथिक वो वीर सपूत सेनानी 
सुनो सुनाते है गोडसे जी की पवित्र कहानी

कोर्ट म

महान सपूत भारत के अंतिम बलिदानी नाथूराम विनायक वीर गोडसे जी और नारायण आप्टे जी को फाँसी के बाद उनकी पार्थिव देह उनके परिजनों को शायद इस लिये नहीं सौपी गई की कही भारत का देशभक्त गोडसे जी के जयकारो के साथ सड़को पर ना उतर जाये की गाँधी की सत्यता जन जन तक पहुँच जाये । ( गाँधी वध की सत्यत जानने के लिये इस लिंक लेख को ज़रूर देखे 



https://dewdoot.blogspot.com/2015/02/55-20-1921-10.html 


जेल अधिकारियो ने बलिदानियों का अंतिम संस्कार घाँघर नदी के किनारे किया था । गोडसे जी की अंतिम मंसा थी की उनकी अस्थियाँ तब तक ना विसर्जित की जाये जब तक की पवित्र सिंध नदी जिसके तट पर हमारे वेदों की ऋचाओ का अवतरण हुआ वह पवित्र नदी पूरी तरह भगवा ध्वज की छाव में निर्विघ्न प्रवाहित ना होने लगे अर्थात् अखंड भारत की पुनः स्थापना ना हो जाये (गोडसे जी की पवित्र अस्थियाँ आज भी इसी आस में पूना में स्थापित है /प्रतिक्षित है )

अंबाला जेल का वह फाँसी का फंदा जिस पर लटकते हुए सपूत बलिदानियों ने जयतु जयतु जय हिंदूराष्ट्र का उदघोष किया और गोडसे एवम् आप्टे की वह पवित्र जेल कोठरी जिस में उन्होंने अपने जीवन की अंतिम आराधना की वहाँ के कण कण में स्मृतियों के दर्शन को करोड़ों देशभक्त हिंदू ललाइत है ।


अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय ने हरियाणा सरकार के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर जी को 25 फरवरी 2023  को पत्र लिखकर महान बलिदानियों की शेष स्मृतियों के दर्शनार्थ अंबाला जेल में भ्रमण की अनुमति मागी ।


नाथूराम गोडसे जी हिंदू राष्ट्रवाद के कट्टर समर्थक थे । गोडसे जी को आज भी करोड़ों स्वाभिमानी, देशभक्त और जिन्दा हिंदू अपना आदर्श मानते है। 


कुछ लोगों का मानना है की गोडसे जी ने गांधी को सिर्फ़ 3 गोली मारी थी गोली लगने के बाद सब से पहले विरला भवन में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पहुँचे थे, गांधी को विरला भवन के लॉन से उठाकर भीतर ले जाया गया ( अस्पताल नहीं लेजाया गया ना ही किसी डॉक्टर को बुलाया गया ) कुछ देर बाद नेहरू जी उस कमरे से बाहर निकले जहाँ गाँधी को गोली लगने के बाद रखा गया था, उस कमरे से सभी को निकल दिया गया था वहाँ नेहरू जी अकेले थे । हो सकता है गाँधी की मौत से दुखी नेहरू उस कमरे में गाँधी के पार्थिव शरीर के पास बैठकर रो रहे हो…..?


कुछ देर बाद नेहरू जी ने कमरे से निकल कर गाँधी के मृत्यु की पुष्टि करदी, 

( लोगों का मानना है की गाँधी के शरीर में 4 गोलियो के निशान देखे गये थे )



प्रश्न उठता है आख़िर चौथी गोली ……?

 किसने, कब और क्यों चलाई ……? 



जिस मोहनदास करमचंद गाँधी को कॉंग्रेस ने राष्ट्रपिता बना दिया उस महात्मा, बापू गाँधी के हत्या ( गोडसे द्वारा वध ) का कोई FIR दर्ज नहीं कराया गया और नाही राष्ट्र के बाप का मृत्यु के बाद पोष्टमार्टम हुआ । जिस कॉंग्रेस सरकार ने जवाहर लाल नेहरू, श्रीमती इन्दिरा गांधी और राजीव गाँधी को भारत रत्न दिये उस कॉंग्रेस सरकार ने मोहनदास करमचंद गांधी, ( महात्मा गाँधी, बापू ) के नाम पर भारत रत्न देने कभी विचार नहीं किया ....?


गोडसे जी का मुक़दमा और उनके वयान

https://www.youtube.com/watch?v=xk0ULJGcOJ0&t=16s


विचारणीय है की भारत का बाप और सम्मान का कोई पदक नहीं….?


जब की खान अब्दुल ग़फ़्फ़ार खान जो की बलूचिस्तान जे थे उन्हें भारत रत्न दिया गया, मदर टेरेसा जो की यूगोस्लाबिया की निवासी कैथोलिक नान थी उन्हें  भारत रत्न दिया गया , नेल्सन मण्डेला साउथ अफ़्रीका के थे उनको भारत रत्न दिया गया । गाँधी को....?


जिन्हें भारत मित्र कह कर सम्मानित किया जा सकता था वह भारत रत्न के सम्मान से सुशोभित हुए और राष्ट्रपिता को कोई सम्मान नहीं, क्यों की राष्ट्रपिता सिर्फ़ भ्रम का सम्मान है, जिसका विधि अनुसार कोई अस्तित्व नहीं है ....?


मोहनदास करमचंद गाँधी के कारण एक नये स्लामिक देश पाकिस्तान का जन्म हुआ इस तरह गाँधी पाकिस्तान के पिता और राष्ट्रपिता हुए,

जिनके करण देश खण्डित हुआ बह भारत को चीरनेबाला व्यक्ति भला उस राष्ट्र का पिता कैसे हो सकता है जिसने करोड़ों निर्दोष हिन्दुओं को लाशों में बदलने का षड्यंत किया ….?

कही पाकिस्तान गाँधी को अपना राष्ट्रपिता ना घोषित करदे इस लिये जल्दबाज़ी में तत्कालीन कॉंग्रेस सरकार ने गाँधी को भारत का भ्रामक राष्ट्रपिता घोषित करदिया ….?


तत्कालीन उपप्रधानमंत्री सरदार बल्लभ भाई पटेल का कथन इस बात की पुष्टि करता है की मुसलमानों ने भारत को चीरा और पुनः उसे बर्बाद करने भारत में गाँधी के स्नेह के करण ही संरक्षित रहे बही मुसलमान आज भारत के पुनः  बर्बादी का करण बनते जा रहे है ….?


बल्लभ भाई पटेल 

https://www.youtube.com/watch?v=xnvQbbKSS20&t=22s


इससे यह बात स्पष्ट होती है की कॉंग्रेस कभी भी मोहनदास करमचंद गाँधी को सम्मान के साथ स्वीकार नहीं कर पाई, लेकिन देश की जनता ने गाँधी वध के बाद गाँधी को वेचारा मान लिया जिस करण उनके साथ लोगों की कुछ भावनाए जुड़ी तो मजबूरी में कॉंग्रेस ने उन्हें महात्मा, बापू और राष्ट्रपिता कहना शुरू कर दिया, अब तो मोहनदास करमचंद गाँधी पर भाजपा का अतिक्रमण होता जा रहा है, फिर काँग्रेस क्या करेगी, गाँधी नाम धारियो को अब चिंतन करना ही होगा ।

भारत के महानायक स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर जी को भारत रत्न देने अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय ने सभी लोकसभा सांसदों, राज्यसभा सांसदों, सभी राज्यो के राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया परंतु भाजपा की मोदी सरकार ने अनुरोध को अस्वीकार कर दिया इसी करण 5 दिसम्बर 2021 को सूरत, गुजरात में जनता की ओर से 30 हज़ार से अधिक देशभकों की उपस्थिति में सावरकर जी को अखिल भारत हिंदू महासभा ने भारत रत्न समर्पित किया ।


सावरकर भारत रत्न

https://www.youtube.com/watch?v=DKNC6GLffD0


दिनांक 23 फरवरी 2023 को पुनः अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय महासचिव देवेन्द्र पाण्डेय द्वारा पत्र लिखकर भारत सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और गृह मंत्री अमित  शाह जी से गोडसे जी को भारत रत्न देने का अनुरोध किया गया है ।


यदि सरकार देशभक्तों के सम्मान को ऐसे ही अनदेखा करती रहेगी तो अखिल भारत हिंदू महासभा गोडसे जी को भी सावरकर जी की भाँति ही जनता द्वारा भारत रत्न के सम्मान से अलंकृत करेगी ।


मलेगांव बम ब्लास्ट, गोधरा काण्ड और बाबरी बिध्वंस के आरोपी जो न्यायालय से बरी हुए निर्दोष साबित हुए उन्हें भी जन सभाओं और आयोजनो में देशभक्त सपूत की उपाधि से सम्मानित किया जायेगा ताकी उनकी आराधिक छवि को मिटाया जा सके और उन्हें समाज में पुनः प्रतिष्ठा प्राप्त हो सके । आने बाली पीढ़िया गोडसे जी की भाँति देशभक्त होकर भी तिरस्कृत ना रहे, निर्दोष हो कर भी दोषी ना कहलाये इस लिये ही इतिहास का पुनः निश्चल और सत्य आधारित निर्माण ज़रूरी है ।


स्वतंत्र वीर विनायक दामोदर सावरकर और नाथूराम विनायक वीर गोडसे

स्वाभिमानी, देशभक्त, जिन्दा हिन्दू थे, अपने सपूतों पर हमे गर्व है ।  

जयतु जयतु जय हिंदू राष्ट्र







            आपका
देवेन्द्र पाण्डेय "डब्बू जी "

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